करनाल – मुख्यमंत्री ने हिन्दी आंदोलन के सत्याग्रहियों को सम्मान देकर उन्हें अमर बनाया।

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करनाल – प्रदेश के ऐसे व्यक्ति जिन्होने 1957 के  हिन्दी आंदोलन में भाग लिया और वे जेल में रहे ऐसे सत्याग्रहियों के सम्मान के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 10 हजार रूपए मासिक पैंशन देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से प्रदेश के हिन्दी आंदोलन में शामिल करीब 200 लोगों को सम्मान मिला है और यह प्रक्रिया जारी है। करनाल जिले में 10 सत्यग्रहियों व उनकी विधवाओं को यह सम्मान दिया जा रहा है। हिन्दी आंदोलन में भाग लेने वाले जिला करनाल के गांव गगसीना वासी फतेह सिंह की मृत्यु के उपरान्त उसकी पत्नी फूलवती को हिन्दी आंदोलन सत्याग्रही की पैंशन दी जा रही है। कागजो की कमी के कारण महीना दर महीना पैंशन ना मिलने के कारण सोमवार को 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला फूलवती अपने लडके जयसिंह के साथ लघु सचिवालय में सत्याग्रही पैंशन लेने के लिए पहुंची। बीमारी के कारण कार में ही बैठी रही, वहीं पर जिला लोक सम्पर्क अधिकारी सुनील कुमार ने लम्बित 6 महीने की 60 हजार रूपये के पैंशन का चेक उन्हे दिया, तो वह काफी खुश हुई, जब उपस्थित मिडिया कर्मी ने उनसे पूछा की माता जी आज आपको कैसा लग रहा है। बुजुर्ग फुलवती ने हंसते हुए कहा कि जुग-जुग जियो, ऐसा मुख्यमंत्री जिसने मेरे पति के किए हुए काम को याद किया और मुझे उसकी मेहनत का फल आज मुझे दिया। उन्होने कहा कि ऐसा मुख्यमंत्री जिसने हिन्दी आंदोलन में भी भाग लेने वाले लोगो को भी सम्मान दिया और उनके मरने के बाद उनकी पत्नियो को सम्मान देकर उन्हे अमर बना दिया। बुजुर्ग महिला ने मिडिया कैमरे के सामने के कहा आज मैं बहुत खुश हूं, मुख्यमंत्री ने जो हमे इज्जत दी है।
अपनी बुजुर्ग मां को कार में लेकर आए उनके बेटे जयङ्क्षसह संधू ने मिडिया को बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हिन्दी आंदोलन के सत्याग्रहियों को जो सम्मान दिया, वह और उनका परिवार सदा आभारी रहेंगे। उन्होने कहा उनके पिता जी ने हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए 1957 के हिन्दी आंदोलन में भाग लिया और वह 6 महीने जेल में भी रहे। उन्होने कहा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जो हमें सम्मान दिया, इस सम्मान ने मेरे स्वर्गीय पिता जी की याद को ताजा कर दिया, हमें सम्मान चाहिए था, पैसे नहीं, पैसे तो कही से भी मिल सकते हैं, परंतु मेरी बुजुर्ग मां ने जब अपने हाथ में मेरे स्वर्गीय पिता की मेहनत का चेक लिया, तो वह इतनी खुश थी कि उन्होने कहा कि जुग-जुग जियो ऐसा मुख्यमंत्री जिन्होने मरे हुए सत्याग्रहियों को भी जिंदा कर दिया।