कान्तापाल/ नैनीताल – पर्यटन सीजन के दौरान नैनीताल व् आसपास की झीलों में नौकायन का आनन्द उठाने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ के नाविक जोर शोर से नाव(बोट)निर्माण की तैयारियों में जुटे हुए हैं। आइये हम आपको बताते है की जिस रोविंग बोट से आप सफर कर नैनीझील की सैर करते हैं उन्हें बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है और ये नाव बनती कैसे है।
वर्षों से नाव बनाने की कारीगरी से जुड़े 55 वर्षीय राम सिंह के अनुसार रोइग बोट तुन और शीशम की लकड़ी से बनती है। क्योकी तुन की लकडी का वजन कम होता है ये लकड़ी पानी में आसानी से ख़राब नहीं होती है। बोट का ढाचा तैयार करने के बाद ताँबे की कीलों को ठोककर उसे मजबूत बनाया जाता है पानी में ताँबे की कील जंक से भी बचाती है । फ्रेम बनने के बाद लकड़ी को अलसी का तेल पिलाते हुए दो तीन दिनों तक उसे सुखाया जाता है। नाव में इसके बाद पोटीन से दरारों को अच्छी तरह से भरा जाता है। पोटीन के सूखने के बाद नाव में सिन्थेटिक वार्निश से पौलिश किया जाता है। इससे नाव में स्थिरता और मजबूती आती है। नाविक समेत पांच लोगों को घुमाने वाली इस नाव की सुरक्षा के लिए सभी महत्वपूर्ण इंतजाम किए जाते हैं। एक नई रोइंग बोट बनाने में लगभग 60,000/रुपयों का खर्च आता है। और हर वर्ष 3000 हजार रुपया मुरम्मत में खर्च आता है।
सर्दियों से काम कम होने और अच्छी धूप नाव बनाने में मददगार तो है ही साथ ही जाड़ो में पाले से भी बचाती नैनीताल में जो भी पर्यटक आता है वो एक बार इन रोइंग बोट में नौकायन जरूर करता है। यही कारण है कि ये व्यवसाई नौकाओ की मुरम्मत के काम में जुटे है। नैनीताल में लगभग 250 नाव हैं जिन्हें हर वर्ष दो बार सुधार की जरूरत पड़ती है। हालत नाजुक पड़ने पर नाव में पानी भरने लगता है। शुरू में तो ये इतना खतरनाक नहीं होता लेकिन ज्यादा जलभराव के बाद पर्यटकों को भी जान का खतरा बड़ सकता है। लिहाजा नाव मालिक समय से नाव की मुरम्मत करवा लेते हैं। नैनीताल में इन दिनों खिली धूप पोटीन और पौलिश को सुखाने का बेहतरीन काम कर रही है।नाव चालक आगामी सीजन के सफल होने की उम्मीद कर रहे हैं।नाविकों ने अपनी अपनी नाव सुधार कर बेहतर बना रहे है।
नैनीझील लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी है और नाविक पर्यटकों के लिए आधा और पूरा चक्कर लगाकर चारों तरफ के दर्शन करते हैं । इसे सन1839 में खोजा गया था जिसके बाद से ही इस झील में नौका विहार के एक अलग ही आनंद का अहसास किया जाता है । नैनीझील में 3 किसम की बोट चलती है रोइंग बोट, पैडिल बोट और पाल नौका। ब्रिटिश काल में रोइंग और पाल नौका हुआ करती थी और कालांतर में पैडिल बोट का आगमन हुआ।