सुमित/ पानीपत – हरियाणा को शिक्षा का हब बताने वाली प्रदेश सरकार के दावे फेल होते नज़र आ रहे हैं l पानीपत जिले के गाँव गढ़ी बेसक में एक स्कूल ऐसा भी है जहाँ पर बच्चों की संख्या 750 है और इन बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल में मात्र 3 अध्यापक है तो ऐसे में कैसे पढेगा इंडिया तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया। प्रदेश सरकार का करोड़ो का बजट लेकिन पिछड़े इलाको में परिणाम निचले दर्जे का जहाँ शिक्षा अधिकारी भी मिटटी झाड़ते नजर आते हैं।
पानीपत जिले के गाँव गढ़ी बेसक का सीनियर सेकंडरी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहा है इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए 750 बच्चे आते है पर इन बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल प्रधानाचार्य समेत 3 ही अध्यापक है स्कूल में आसपास के गाँवों के बच्चे पढ़ने आते हैं , पर इन बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता साफ़ नज़र आ रहा है l अगर इस स्कूल के हालात देखे जाएं तो यह स्कूल शिक्षा के स्तर में तो निचले पायदान पर है ही इसके साथ साथ मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है स्कूल में बच्चे नीचे बैठकर पढ़ते हैं जबकि सरकार का दावा है सभी स्कूलों में बेन्च व् डेस्क की व्यवस्था हैं सरकार राजनैतिक दबाव में स्कूलों को तो अपग्रेड कर देती है लेकिन सुविधाओं के नाम पर सबकसछ ताक पर रख दिया जाता है तो ऐसे स्कूलों की टीचरों की व्यवस्था कैसे कर पाएगी सरकारें। स्कुल को अपग्रेड करने से पहले पढ़ाने वाले टीचरों का प्रबंध होना जरूरी है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों का परिणाम निजी स्कूलों के मुकाबले घटिया और निचले दर्जे का आना भी अध्यापको की कमी भी एक मुख्य कारण माना जाए तो गलत नही होगा।
दसवीं कक्षा की छात्रा पूनम ने बताया कि स्कूल में मात्र 3 ही विषयो के अध्यापक है और हमे शिक्षा देने के लिए प्राइमरी स्कूल के अध्यापको को बुलाया जाता है जोकि हमे ठीक से भी नही पढ़ा पाते ओर आधुनिक शिक्षा पाने का तो सपना रह जाएगा क्योकि स्कूल में कंप्यूटर उपलब्ध ही नहीं हैं डीटीएच सिस्टम तो दूर की बात है जबकि सरकार के शिक्षा विभाग का दावा हे प्रदेश में ऐसा कोई स्कूल नहीं है जहां बच्चो को आधुनिक शिक्षा नहीं दी जा रही हो लेकिन हकीकत कोसों दूर है।
दूसरी तरफ स्कूल के टीचर जिसके पास डीडी पावर के साथ साथ स्कुल के प्रधानाचार्य का भी प्रभार है। प्रधान शिक्षक जसवंत ने बताया कि मेरा विषय हिंदी है ओर मुझे डी डी ओ का भी चार्ज दिया हुआ है और डीडी पावर के कारण 9 स्कूलों की देख रेख भी करनी पड़ती है जिसके चलते बच्चों को शिक्षा भी नही दे पाता और बोर्ड परीक्षा सिर पर है बच्चो का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है और अध्यापको की कमी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ेगा और जीवन की दौड़ में पिछड़ जाएंगे स्कुल के बच्चे कोई राह नजर आती पॉलिसियां बहुत पेचीदा हैं ज्यादा मुखर या लड़ भी नहीं सकते सिस्टम से आप सभी वाकिफ हैं।
शिक्षा अधिकारी धर्मवीर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल में प्रधानाचार्य को सरकार द्वारा रिटायर्ड अध्यापको को स्कूलों में भर्ती करने की पावर दी गई है और अपने स्तर पर स्कूलों में प्रधानचार्य अध्यापको की कमी को रिटायर्ड अध्यापको की भर्ती को पूरा कर सकते है पर इस स्कीम के तहत किसी भी रिटायर्ड अध्यापक ने आवेदन नही किया है। देखिये शिक्षा अधिकारी ने कितनी आसानी से अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया और गेंद डाल दी स्कुल के प्रधान शिक्षक के पाले में जबकि यह सब काम उच्च अधिकारियों का होता हे ना तो उन्हें बच्चों के भविष्य की परवाह है और ना ही सिस्टम का कोई डर क्योकि सिस्टम को तो दीमक लग चुकी है नौकरी जाने का भय किसी को नहीं है वो इसलिए लाहपरवाही साबित होने के बाद भी कभी बड़ी कार्यवाई नहीं होती।