करनाल – अर्बन क्षेत्र को खुले में शौच से शत प्रतिशत मुक्त करके करनाल ने अब एक ओर उपलब्धि अपने नाम कर ली है। भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय की ओर से थर्ड पार्टी इंस्पैक्षन के तहत सी.पी.डब्ल्यू.डी. की टीम ने करनाल शहर का दौरा कर इसे खुले में शौच मुक्त होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। बता दें कि इससे पूर्व बीती 31 जनवरी को करनाल (ग्रामीण) पहले ही खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। नगर निगम की मेयर रेनू बाला गुप्ता व निगम आयुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने इस उपलब्धि के लिए सभी शहर वासियों को बधाई दी है। निगम आयुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने आज इस संबंध में बताया कि विगत 15 अप्रैल से करनाल अर्बन को ओ.डी.एफ. करने के लिए नगर निगम द्वारा एक विशेष मुहिम शुरू की गई थी। सबसे पहले ऐसे एरिया की पहचान की गई, जहां लोग खुले में शौच के लिए जाते थे। इनमें शहर से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक के दोनो ओर जंगली झाडि़यों से भरी जगह, डेहा बस्ती, बसंत विहार का कुछ एरिया तथा शहर से बाहर सैक्टर-32-33 क्षेत्र की झुग्गी-झोपडि़यों में ओ.डी. को लेकर स्थिति बेहद खराब थी। दूसरी ओर नगर निगम में शा मिल गांवों में भी पता लगाया गया कि सुबह उठकर कितने लोग खुले में जाकर शौच करते हैं। इसके पष्चात ऐसे लोगों को खुले में शौच करते देखकर उन्हे समझाने-बुझाने का सिलसिला शुरू किया गया। निगम द्वारा इस कार्य में लगाए गए ट्रीगर और मोटीवेटर्स ने मोर्चा सम्भाला, जो लाठी, टॉर्च व सीटी लेकर अल सुबह खुले में शौच करने वालों के पीछे जाने लगे। निगम अधिकारियों ने शेड्यूल मुकरर्र कर एक-एक जगह का जायजा लिया और खुले में शौच करने वालों को प्रेरित करना शु रू किया। उन्हे इस बुराई का त्याग करके, शौ चालयों का प्रयोग करने के लिए कहा गया। इस दौरान संबंधित क्षेत्र के लोगों की निगरानी कमेटियां बनाई गई और उन्हे इस मुहिम के साथ जोड़ा गया। उनकी स्वैच्छिक सेवा-भावना को देखकर सम्मान के तौर पर उन्हे स्वच्छागृही का नाम दिया गया। आयुक्त ने बताया कि इन कोशिशों से मुहिम को बल मिलता गया। अल सुबह पहचान की गई जगहों पर सिटियां बजने लगीं, टार्च जगने लगी, जोर-जोर से अवाजें लगाकर खुले में षौच करते लोगों को उठाकर ट्रीगर षर्मिंदा करते रहे। महिलाओं को महिला मोटीवेटर तथा पुरूशों को पुरूष मोटीवेटर समझाते थे। श हर की डेहा बस्ती जैसी जगहों पर मुहिम में शा मिल मोटीवेटर और यहां के निवासियों के बीच तकरार की नौबत भी आई, लेकिन अपने दृढ़ इरादों के साथ मुस्तैद यह लोग अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे। झुग्गी-झोपडि़यों में रहने वाले प्रवासियों को समझाने में ओ.डी.एफ. टीम को कमोबेश कम मश क्त करनी पड़ी। यहां यह बताना उचित होगा कि निगम अधिकारियों व मोटीवेटरों की प्रेरणा से इन लोगों ने अपनी झोपडि़यों के पास ही गढ्ढे खोदकर कम खर्च के शौचालय बनाने शु रू कर दिए। देखते ही देखते ऐसे शौ चालय बनाने की होड़ लग गई और ऐसे 600 शौचालय बनाए गए। ओ.डी.एफ. मुहिम की राह पर यह एक बड़ी सफलता का संकेत था। हालांकि कार्य चुनौती भरा था, फिर भी इससे मोटीवेटर के होसले बढ़ते गए।
आयुक्त ने बताया कि इस दौरान नगर निगम की ओर से श हर में ऐसे लोगों का सर्वे करवाया गया, जिनके पास अपने शौचालय नहीं थे, या जिन्होने शौचालय के लिए कुछ दिनों पहले निजी शौचालयों का निर्माण शु रू करके सरकारी अनुदान की मांग करते हुए निगम को आवेदन दिए थे। आवेदनों को लेकर मोटीवेटर, वालंटीयर, सक्षम युथ तथा नगर निगम के सफाई दरोगाओं के माध्यम से आवेदन कर्ताओं की घर-घर जाकर वैरीफिकेश न करवाई गई। वैरिफिकेशन के बाद निगम की ओर से 2140 पात्र हाउसहोल्ड को अनुदान देकर उनके शौचालयों के निर्माण करवाए गए। दूसरी ओर समुदायों की मांग व जरूरत को देखते हुए नगर निगम ने भिन्न-भिन्न जगहों पर 10 पोर्टेबल मोबाईल टॉयलेट, 15 सामुदायिक टॉयलेट तथा 88 कंक्रीट से बने षौचालय रखवाए, जो अब लोगों द्वारा शौच के लिए प्रयोग में लाए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि इसके अतिरिक्त लोगों को जागरूक करने के लिए नगर निगम की ओर से खुले में शौच करने वालों को जुर्माना लगाने के चेतावनी भरे बोर्ड जगह-जगह लगवाए गए। सार्वजनिक दीवारों पर जागरूकता स्लोगन लिखवाए, इनसे आम जनता काफी प्रभावित हुई।