आज करनाल के गांगर गांव से हुई सर्वप्रथम भावान्तर भरपाई योजना की शुरूआत

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करनाल – हरियाणा के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए व फसलों की विविधिकरण पर बल देते हुए प्रदेश सरकार ने आज देश में सर्वप्रथम भावान्तर भरपाई योजना की शुरूआत की है, जिसमें टमाटर, प्याज, आलू और गोभी शामिल है। इस योजना के लिए सरकार द्वारा एक अलग फंड भी तैयार किया जाएगा।  योजना की शुरूआत हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने आज करनाल के गांगर गांव से की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने भावान्तर भरपाई ई-पोर्टल व  क्रोप कल्सटर डेवल्पमैंट कार्यक्रम के अन्र्तगत टमाटर उत्पादक किसान का रजिस्टे्रशन भी किया।
मुख्यमंत्री ने किसानों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि भावान्तर का मतलब भाव-अन्तर है, अर्थात भाव के अन्तर की भरपाई। उन्होंने कहा कि जिन चार फसलों की भरपाई की जाएगी उनमें टमाटर के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल, आलू के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल, गोभी और प्याज के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भरपाई करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना के तहत इन मूल्य से कम मूल्य होने पर आने वाले अन्तर की भरपाई करेगी।
सुक्ष्म सिंचाई के सम्बंध में बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पराम्परागत फसलों के मुकाबले आलू, गोभी, टमाटर और प्याज फसलों में सुक्ष्म सिंचाई अपनाई जाए ताकि पानी की बचत हो। उन्होंने कहा कि हरियाणा में ऐसे कई इलाके है जहां पर इंसान को पानी पीने के लिए भी टैंकर द्वारा सप्लाई दी जाती है इसलिए हम सभी को हरियाणा के हित में सोचते हुए सुक्ष्म सिंचाई को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुक्ष्म सिंचाई से लगभग 30 प्रतिशत पानी से काम चल जाता है और 60 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। उन्होंने कहा कि सब्जियों और फलों में विटामिन-डी होता है जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।
फसलों के विपणन पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा का किसान स्वयं अपनी पैदावार को सीधा मंडी में बेचे इसके लिए हमारे पास दिल्ली जैसी बहुत बडी मंडी उपलब्ध है जो हमारी पैदावार की खपत कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस ओर आगे बढ़ते हुए प्रत्येक जिला में सरकार छोटी-छोटी मंडियां बनाने जा रही है ताकि किसान अपने उत्पाद वहां लाकर बेच सके। इसी प्रकार गन्नोर में एशिया की सबसे बडी मंडी स्थापित की जा रही है, जो फल और सब्जी की सबसे बडी मंडी होगी। उन्होंने किसानों से रूबरू होते हुए कहा कि सरकार किसानों के उत्पाद की सुरक्षा के लिए कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधा भी देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां भी राज्य में स्थापित की जा रही है, जहां पर टमाटर, आलू और गोभी जैसे उत्पादों की सप्लाई करके उत्पाद बनाएं जाएगें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जोत छोटी होती जा रही है, इसलिए हमें खाद्य प्रसंस्करण पर जाना होगा, इसके लिए बहुत से लोग निवेश करने को तैयार है लेकिन प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता है। उन्होंने किसानों से कहा कि हमें समझदार बनाना है और हमें एक व्यापारी और उद्योगपति की तरह आगे बढऩा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का किसान जोखिम फ्री हो इसके लिए इस योजना की शुरूआत देश में सबसे पहले हरियाणा में की गई है और किसान के उत्पादक की लागत को बचाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है ताकि किसान फसलों के विविधिकरण के साथ-साथ सुक्षम सिंचाई योजना पर भी जाए। उन्होंने कहा कि कई बार किसानों की बम्पर पैदावार होने से उनकी फसल का उपयुक्त दाम मंडी में नही मिलता है और वह ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को नही उठाना चाहता क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन का खर्च होने के पश्चात मंडी में उसकों उसकी लागत का मूल्य नही मिलता। इस भाव के अन्तर को पाटने के लिए सरकार द्वारा भावान्तर भरपाई योजना शुरू की गई है ताकि किसान को एक संरक्षित मूल्य मिल सकें।
उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरूआत किसान भाईयों, कृषि से जुडे वैज्ञानिकों तथा अन्य जानकारों से बातचीत करके की गई है। उन्होंने कहा कि औसतन टमाटर प्रति एकड 120 क्विंटल होता है, आलू 140 क्विंटल जबकि प्याज और गोभी 100-100 क्विंटल होती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान गेंहू, धान और गन्ना जैसी फसलों पर जाता है जिसमें पानी का सबसे अधिक उपयोग होता है, किसानों को चाहिए कि वह फसल विविधिकरण पर जाए, जिसमें सब्जियां,फल और औषधियां उगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि किसान को प्रति वर्ष एक लाख रुपये तक प्रति एकड आय हो और सरकार इस ओर आगे बढ़ रही है।
कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ओमप्रकाश धनखड ने कहा कि भावान्तर भरपाई योजना की शुरूआत के बाद अब हरियाणा के किसी भी किसान की सब्जी सडक़ पर फैंकने नही दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हम आपके सपनों को पूरा करने के लिए आए है और इसी कडी में हमने पिछले तीन सालों में 3035 करोड रुपये का मुआवजा किसानों को दिया है और यह ऐसा पहला राज्य है जहां इतनी रकम दी गई है। उन्होंने किसानों से कहा कि आप फसल बीमा योजना को अपनाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना के दाम बढ़ाए है। उन्होंन कहा कि सरकार गेंहू और धान की तरह एक प्रकार से सब्जियों के लिए संरक्षित मूल्य लेकर आई है जिससे निश्चित आमदनी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि किसानों को सीधा विपणन करना होगा और इसके लिए दुनिया का सबसे बढिय़ा हाईवे उनके पास है, जिस पर दो हजार करोड रूपये का सामान बिकता है। आप इसे फुंड-वे बना सकते है अर्थात अपने खेत की पैदावार सीधे इस हाईवे पर लाकर बेच सकते है।
भावान्तर भरपाई योजना के बारे में जानकारी देते हुए श्री धनखड ने बताया कि किसान को अपनी फसल के पैदावार के समय में इसे भावान्तर भरपाई वैब साईट पर या हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के कार्यालय में जाकर अपना पंजीकरण करवाना होगा, कि वह अपने खेत में यह फसल पैदा कर रहा है जिसकी पुष्टि के लिए सरकार द्वारा एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो इस बात की पुष्टि करेगा कि अमुक किसान के खेत में यह फसल उगाई गई है और उसकी पुष्टि होने के पश्चात विभाग द्वारा किसान के मोबाईल पर एसएमएस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि भाव के लिए किसान को जे-फार्म भी कटवाना होगा, यदि भाव अधिक है तो भी उसे मंडी के अधिकारी से जे-फार्म चढ़वाना होगा अन्यथा किसान को अगले वर्ष पंजीकृत नही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना को तकनीकी रूप से और सुधारा जाएगा ताकि हर पडाव का एसएमएस किसान के मोबाईल पर जाए।
इससे पहले हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की अध्यक्ष कृष्णा गहलावत ने कहा कि आज का दिन किसान भाईयों के लिए एक सुनहरा दिन है और उन्होंने किसान भाईयों से आशा व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस योजना से जुडते हुए आने वाले समय में अपनी आय को जरूर दुगना करेगें।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डा0 अभिलक्ष लिखी ने कहा कि आज प्रत्येक जिला में उपायुक्त की अध्यक्षता में इस योजना से सम्बन्धित कमेटियों का गठन किया गया है, जिसमें पंजीकृत किसानों की फसल का मूल्यांकन व जानकारी एकत्रित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा बागवानी विश्वविद्यालय का विस्तार किया जा रहा है, जिसके लिए लगभग 500 करोड रुपये से उपर की राशि दी गई है। इसी प्रकार सुक्ष्म सिंचाई तथा भू-जल संरक्षण के लिए भी भारत सरकार द्वारा 700 करोड रुपये उपलब्ध करवाए गए है। वहीं नाबाड के तहत हरियाणा को 400 करोड रुपये भी दिए गए है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के तलाबों को संरक्षित करने के लिए 80 करोड रुपये की राशि भी खर्च की जाएगी। इसी प्रकार क्रोप कल्स्टर डेवलेपमेंट प्रोग्राम के तहत 510 करोड रुपये की राशि उपलब्ध करवाई गई है, जिसके तहत राज्य 340 बागवानी गांव प्रथम चरण में विकसित किए जा रहे है और इन गांव के 140 फसल समूह है। इसी प्रकार 36 करोड रुपये की लागत से 4 इंडो इजराईल उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए है और इसी तर्ज पर बागवानी उत्कृष्टता केंद्र राज्य प्र्रत्येक जिला में स्थापित किए जाएगें।
मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान गांव गांगर के किसान ओरंग पाल का पंजीकरण भी ऑन लाइन किया। ओरंग पाल ने अपने खेत में टमाटर की फसल उगाई हुई है। कार्यक्रम में गांगर गांव की सरपंच ने मुख्यमंत्री को उपहार देकर सम्मानित किया तथा ग्राम पंचायत ने मुख्यमंत्री को पगडी पहनाकर उनका अभिनन्दन किया। कार्यक्रम के अंत में हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक श्री मंदीप सिंह बराड ने धन्यवाद ज्ञापित किया।