कान्तापाल / नैनीताल – उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आज शादी विवाह समेत अन्य पब्लिक सभाओं में शस्त्र ले जाने पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी है। बागेश्वर में सन 2007 में हुई एक हत्या और हत्या की कोशिश सम्बन्धी एक याचिका को सुनते हुए उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिए हैं। घटना के अनुसार बागेश्वर निवासी भगवन सिंह के बेटे राकेश की 21 अप्रैल 2007 को शादी में डबल बैरल से चली जानलेवा गोली में श्रीमती अनीता व् खुशाल सिंह की मौत हो गई थी जबकि उम्मेद सिंह, श्रीमती विमला और विमला देवी छर्रे लगने से घायल हो गए थे। पुलिस ने घटना के 16 गवाहों के आधार पर भगवन सिंह को आरोपी बनाया था जिसे बागेश्वर के शैशन जज ने 12 जुलाई 2013 को धारा 302 और 307 के अंतर्गत आजीवन कारावास और 25 हजार रूपये का अर्थदंड भरने के आदेश सुनाए थे। आरोपी ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की और कहा की उसने गोली नहीं चलाई जबकि बच्चे बॉल से खेल रहे थे और बॉल आकर बन्दुक से टकराई जिससे वो जमीन पर गिर गई और गोली चल गई। उच्च न्यायालय ने याची की अपील को तथ्यविहीन और बेदम मानते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया और जेल में सजा काट रहे आरोपी को सजा पूरी होने तक अंदर ही रहने के आदेश दिए है। न्यायालय ने शादी व् दूसरे अवसरों पर बंदूकों से की जाने वाली गोली बारी का संज्ञान लेते हुए शादियों, धार्मिक उत्सव, सामाजिक जमावड़े, जनता व् राजनीतिक रैलियों में बंदूक व् हत्यार ले जाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दी है। न्यायालय ने इसके लिए सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए हैं की वो अपने जल्द थानाध्यक्षों और कोतवालों को इस आदेश से अवगत कराएं, और किसी भी घटना के लिए वो व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार रहेंगे।