जम्मू-कश्मीर – भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है l बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज दिल्ली में राज्य के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की , बैठक के बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया l महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के इस समर्थन वापिसी के ऐलान के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया l
राम माधव ने कहा, ‘‘घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए। लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।’’ राम माधव ने कहा कि बीजेपी ने यहां पर राज्यपाल शासन की मांग की है। उन्होंने कहा कि अब राज्यपाल शासन से ही प्रदेश में हालत सुधरने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापसी के बावजूद प्रदेश में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि वो राज्यपाल शासन का समर्थन करते है l वो किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे, जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द हो चुनाव होने चाहिए l
रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोक दें, इसे लेकर भाजपा-पीडीपी में गहरे मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। ऑपरेशन ऑलआउट को लेकर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद था। पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे। लेकिन, भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी। राम माधव ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय और एजेंसियों से सूचनाएं लेने के बाद हमने मोदीजी और अमित शाह से सलाह ली। हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस गठबंधन की राह पर चलना भाजपा के लिए मुश्किल होगा। घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा बढ़ रही है। लोगों के जीने का अधिकार और बोलने की आजादी भी खतरे में है। पत्रकार शुजात बुखारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। ये स्थिति की गंभीरता को बताता है। रमजान के दौरान हमने ऑपरेशन रोके, ताकि लोगों को सहूलियत मिले। हमें लगा कि अलगाववादी ताकतें और आतंकवादी भी हमारे इस कदम पर अच्छी प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अब राज्यपाल शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। भाजपा भी यही चाहती है ताकि राज्यपाल के शासन में कड़ी कार्रवाई करके वह शेष देश में अपनी छवि सुधार सके।
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