करनाल – केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि रासायनिक कृषि के मृदा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना आरम्भ की है,जिसका उद्देश्य देश में समूह आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देना है। हरियाणा व पंजाब के कुछ चयनित भागों में जैविक कृषि समूह स्थापित किये जा चुके है।
केन्द्री कृषि मंत्री शनिवार को केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित रबी किसान मेले में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि उन्हें किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अथक प्रयास करने होंगे। पिछले पांच दशकों में सीएसएसआरआई ने देश के विभिन्न भागों मेंं करीब 20 लाख हेक्टेयर लवण प्रभावित भूमि का सुधार करके खेती योग्य बनाया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों की अनुसंधान आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए संस्थान के तीन क्षेत्रिय अनुसंधान केन्द्र पश्चिम बंगाल,गुजरात और उत्तर प्रदेश में स्थापित किये गए है,जिनके द्वारा समुद्र तटीय लवणता, गंगा के मैदानों की क्षारीय मृदा संबंधी समस्याओं का निदान किया जा रहा है। लवणता ग्रस्त भूमि के प्रबंधन और खारे पानी के कृषि में प्रयोग के लिए अखिल भारतीय समन्वित परियोजना भी विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य किये जा रहे है।
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा क्षेत्र की मृदाओं में जैविक कार्बन एवं पोषक तत्वों की कमी मृदा स्वास्थ्य एवं फसल उत्पादकता के समक्ष एक गंभीर बाधा है,जिसे दूर करने के लिए सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना आरम्भ की है। रासायनिक कृषि के मृदा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना की भी शुरूआत की है,जिसका उद्देश्य देश में समूह आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि देश का किसान व गरीब विकसित हो,इसके लिए भारत सरकार द्वारा दूध उत्पादन व मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है,परन्तु आज किसानों को पिछले 70 साल के राज का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यदि यह योजनाएं पहले शुरू हो जाती तो किसानों की आर्थिक दशा कमजोर ना होती। देश के प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया है कि किसान की आय 2022 तक दोगुनी हो,इसके लिए प्रयास किये जा रहे है। जब किसान खुशहाल होगा तो देश विकसित होगा।
इस मौके पर सीएसएसआरआई के निदेशक पीसी शर्मा ने कहा कि 1969 में सीएसएसआरआई की स्थापना की गई थी। सीएसएसआरआई एक मार्च 2018 से अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रही है। इस संस्थान द्वारा करीब 20 लाख हेक्टेयर भूमि का सुधार किया गया है। आज इस भूमि पर बेहतर फसलों की पैदावार होती है। किसानों को भी इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा मिट्टी सुधार योजना के तहत बेगमपुर गांव के साथ एमओयू किया है। इस गांव में संस्थान द्वारा सभी कृषि संबंधी सुविधाएं दी जाती है,इतना ही नहीं 50 गांवों में मेरा गांव मेरा गौरव के तहत काम किया जा रहा है। हरियाणा में कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ी है।
असंध के विधायक बख्शीश सिंह विर्क ने कहा कि पहले यह भूमि कलर की थी। संस्थान द्वारा मेहनत करके इस क्षेत्र की भूमि को उपजाऊ बनाया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई है। किसान को आर्थिक हानि ना हो,पिछले दिनों ओलावृष्टि से किसानों की खराब फसल के लिए करीब 1092 करोड़ रूपये किसानों को मुआवजे के रूप में दिये। इतना ही नहीं करनाल में मुख्यमंत्री ने 225 करोड़ रूपये का नया शुगर मिल बनाने का निर्णय लिया है।