कान्तापाल/ नैनीताल – उत्तराखण्ड में मानसून आते ही यहां के लोग दहशत में आ जाते हैं। वो लोग ना केवल सड़कों में पड़ने वाले तेज बहाव वाले रपटों(Causeway)को जान पर खेलकर पार करने को मजबूर होते हैं बल्कि यहां तो एम्ब्युलेंस में मरीज भी जाम में फसकर अपनी जिंदगी और मौत के बीच झूलता नजर आता है । पहाड़ों में बरसात के कारण नदी नालों से पानी बहकर मैदानी क्षेत्रों की सड़कों को पार करता है, जहां सड़क पर चलते वाहनों की रफ्तार थम जाती है । कुछ समझदार लोग तो पानी के कम होने का इंतजार करते हैं लेकिन कुछ लोग जल्दबाजी के चक्कर में पानी के तेज बहाव को पार करने का रिस्क उठा ही लेते हैं । ऐसे में बीते वर्ष कई हादसे हमने देखे जिसमें ना केवल मोटर साइकिल बल्कि कारें तक पानी के तेज बहाव में बह गई । इन जगहों में प्रशासन और पुलिस भी रिस्क लेने वाले ऐसे दीवानों को नियंत्रित करने के लिए कम ही देखने को मिलती है । नैनीताल जिले के हल्द्वानी से रामनगर होते हुए पौड़ी तक के रास्ते में कई रपटे हैं जो हादसों को अंजाम देते रहते हैं । इसके अलावा हल्द्वानी से चोरगलिया होते हुए नैपाल बॉर्डर तक भी हम दर्जनों हादसे देख चुके हैं जहाँ गाड़ी समेत सवार नदी के तेज बहाव में बहकर असमय अपनी जिंदगी खो बैठे ।
नितिन, राहगीर ने बताया ,इस वर्ष भी मानसून के आते ही हादसों को दावत देने वाले ये रपटे बगैर वैकल्पिक व्यवस्थाओं के ही खड़े हैं । ऐसे में ये देखना जरूरी हो जाता है कि सरकार और प्रशासन राहगीरों की हिफाजत के लिए क्या सुरक्षात्मक कदम उठाती है ।