पलदी घाटी में करथा उत्सव की धूम, करथा नाग व बासुकी नाग के मेले में नाचे 60 राक्षस रूपी मडियाले

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कौशल – कंडी/कुल्लू –  कौशल बंजार उपमंडल के पलदी वैली में करथा उत्सव की धूम रही। इस करथा उत्सव में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली। मकर संक्रांति के दिन करथा नाग के मंदिर कंडी सेहुली, बासुकी नाग के मंदिर थाटीबीड़ में करथा उत्सव देखने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा। वहीं सोमवार को जिला व प्रदेश से आए लगभग हजारों श्रद्धालुओं ने करथा नाग व बासुकी नाग के हारियानों ने इन राक्षस रूपी मडियालों के साथ देव नृत्य किया। मान्यता है कि इस देव नृत्य में महाभारत काल व रामायण आदि काल का वर्णन होता है।  देवता के पालसरा पूरण चंद ने बताया कि यह करथा उत्सव आदि काल से मनाया जाता है। वहीं देवता करथा नाग व बासुकी नाग के साथ राक्षस रूपी मंडियालों ने देव नृत्य किया। इस देव नृत्य को देखने के लिए जिला के अलावा हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के लोग पलदी घाटी पहुंचे
हैं।कंडी में देवता करथा नाग के मंदिर में जब कोटला से ब्रेग मड़ियाला पहुंचा तो दृश्य देखने योग्य था।देवता करथा नाग के गुर व आहिडू के गुर सहित पढरणी की पांच खेपरी ने ब्रेग मड़ियाला के साथ देव मिलन व परम्परा का निर्वाह किया।इस मौके पर देवता करथा नाग के गुर ने पानी की वावड़ी में बैठ कर भविषयबानी की और आशीर्वाद तौर पर श्रद्धालुओं को सरसों  बांटी।

विष्णु देवता के रूप में विराजमान  हुए करथा नाग व बासुकी नाग बीठ को पाने के लिए हजारों युवाओं ने फैलाए हाथ परंपरा के अनुसार पलदी करथा उत्सव में जहां देव परंपरा का निर्वाह हुआ वहीं करथा नाग वबासुकी नाग ने बीठ देवता के रूप में हजारों श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। पूरा दिन राक्षस रूपी मंडियालों के साथ देव हारियानों ने नृत्य करने के पश्चात शाम को बीठ को पाने के लिए हजारों युवाओं ने हाथ फैलाए।
मान्यता यह है कि करथा उत्सव की शाम को नर्गिस के फूल का एक गुलदस्ता एक विशेष व्यक्ति द्वारा एक टोकरी में रख कर के सिर में नचाया जाता है और नाचते-नाचते यह गुलदस्ता एक ओर को फैंका जाता है और व्यक्ति के हाथ में यह गुलदस्ता आता है उसे देवता मनवांछित फल देते हैं और उसे देवता की कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि इस गटठे में देवता विष्णु भगवान का रूप लेते हैं।करथा उत्सव में हुआ अश्लील गालियों का खूब आदान प्रदान पलदी वैली में आयोजित करथा उत्सव में जहां देव परंपरा को खूब निभाया गया वहीं अश्लील गालियों का भी खूब आदान प्रदान रहा। भले ही सरकार द्वारा अश्लील गालियों पर रोक लगाई है लेकिन यहां पर यह गालियां देव परंपरा को निर्वाह करने के लिए दी जाती है। मान्यता यह है कि महाभारत काल व रामायण काल में हुए राक्षस वध के लिए पलदी करथा का आयोजन होता है वहीं भूत प्रेत व बुरी शक्तियों को भगाने के लिए अश्लील गालियां दी जाती हैं।