करनाल – प्रशासन की सख्ती के बावजूद किसान फसलों के अवशेष सरेआम जला रहे हैं l न ही उन्हें वातावरण के खराब होने की कोई चिंता है और न ही प्रदूषण फैलने का कोई खतरा l सिर्फ काम सस्ते में निपटाने और अगली फसल की तैयारी में ये सब किया जा रहा है l रही बात कानून के डर की , डर यदि होता तो ये लोग आग लगाते ही क्यों l अभी करीब एक सप्ताह पहले ही उपायुक्त ने किसानों से अपील की थी कि वो फसल के अवशेष या फानों को न जलाएं और कृषि विभाग ने भी इसे रोकने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की थी कि इसके तहत दो प्रचार वाहन गांव-गांव जाकर किसानो को फसल अवशेष ना जलाने के लिए जागरूक करेंगे। उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने हरी झण्ड़ी दिखाकर वाहनो को रवाना किया था । लाऊड स्पीकर लगे वाहन रिकॉर्डिंग के जरिए गांव में जाकर फसल अवशेष जलाने के नुकसान, ना जलाने के विकल्प एवं फायदे तथा दोषी व्यक्तियों के लिए जुर्माने और सजा के प्रावधान बारे जागरूक करेंगे। वाहन के साथ गए कर्मचारी उपरोक्त अपील के पैम्फलेट भी बांटेगे। वाहन पर तीन साईडो में किसान भाईयों के लिए अपील लिखे फ्लैक्स बोर्ड भी लगाए गए हैं, यह वाहन जिला के सभी गांव कवर करेंगे।
इस अवसर पर उपायुक्त ने जानकारी दी थी कि फसल कटाई के बाद किसानो को खेतो में बचे अवशेष या फानो को आग नही लगानी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। दोषी व्यक्ति को एकड़ के हिसाब से 2500 रूपये से लेकर 15 हजार रूपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। यही नही एफ.आई.आर. दर्ज होने के बाद 6 महीने से एक साल की सजा का प्रावधान भी है। उन्होने कहा कि जिला के सभी गांव में ग्राम सचिव व पटवारी को जिम्मेदारी दी गई है कि वे अवशेष या फानो को आग लगाने वाले की सूचना जिला प्रशासन को दें, ऐसी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम से भी दी सकती है। होता। उन्होने कहा कि खेतो में बचे फसल अवशेषों को आग ना लगाने के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायतो को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
फोटो – गांव कुंजपुरा में निरंकारी भवन के साथ