करनाल – सरकार वर्ष-2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने के लक्ष्य के लिए प्रयासरत हैं। सरकार के इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फसलों के विविधीकरण में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय सहायक सिद्ध होगा। यह अभिव्यक्ति हरियाणा के राज्यपाल प्रो० कप्तान सिंह सोलंकी ने शुक्रवार को स्थानीय सीएसएसआरआई के सभागार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार,महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल और नैशनल बी बोर्ड नई दिल्ली द्वारा मधुमक्खी पालन पर जागरूकता, उत्साहवर्धन और तकनीकी स्थानातंरण के संदर्भ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों को बतौर मुख्यातिथी सम्बोधित करते हुए कीे।
राज्यपाल ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आम व्यक्तियों को मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शहद के लिए पता है लेकिन मधु यानि शहद कई चीजों के लिए राम बाण है। इनमे व्यक्ति का चाहे भोजन हो या फिर उसे कोई बीमारी हो, सार्थक रूप से काम आता है। उन्होंने कहा कि 29 राज्यों में मधुमक्खी पालन का केन्द्र स्थापित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत 10 राज्यों में यह केन्द्र स्थापित हो चुके हैं। किसानों के दुख-दर्द दूर होंगे तथा उन्हें हर प्रकार की कृषि से सम्बन्धित व्यवसाय में मदद मिलेगी तो भारत की ताकत विश्वभर में बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल बागवानी के क्षेत्र में हरियाणा को पूरे भारत में प्रथम पुरस्कार मिला था और अब चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय को आगामी 16 जुलाई को भारत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों में से एक सरदार पटेल अवार्ड मिलेगा। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
राज्यपाल ने कहा कि 1960 में हरित क्रांति हुई थी, 1970 में श्वेत क्रांति हुई थी, इनमें विश्वविद्यालय का अहम येागदान है। दूध के क्षेत्र में भी हरियाणा उन्नति के पथ पर है। विश्व में शांति होगी तो भारत की प्रगति होगी, भारत विश्व में अनुठा देश है, भारतवर्ष का चरित्र, संस्कृति व जीवन शैली जैसी सामाजिक व्यवस्था पूरे विश्व में कहीं नहीं मिल सकती है। भारतवर्ष की संस्कृति को अगर सब अपना लें तो सीमा पर जो झगड़े चल रहे हैं वह समाप्त हो जाएंगे। भारत को यज्ञ और पूजा करने वाले अध्यात्मिक लोगों का देश माना जाता है, बाहर के लोग सोचते हैं कि भारत के लोग तीर्थ स्थानों पर जाकर स्नान करते हैं और कुछ नहीं जानते हैं उन्हें यह नहीं पता कि सृष्टि के निर्माता का जन्म भारत में ही हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि सन् 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागों में भारत के विषय में ऐसी ऐतिहासिक और आश्चर्यजनक बातें बताई कि सब लोग हैरान हो गए । अब देश बदल रहा है, 21वीं सदी में भारत ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेशों में जा-जाकर भारत में निवेश करने की कई योजनाएं ला रहे हैं। प्रधानमंत्री 24 घंटे काम करते हैं तथा भविष्य की योजना पर काम करते रहते हैं, इसका उदाहरण है प्रधानमंत्री का इजाराईल दौरा। इजाराईल का पीएम दौरा देखकर पूरा विश्व आश्चर्यचकित है। प्रधानमंत्री के इस दौरे से एक नई किरण की शुरूआत होगी। संगोष्ठी का शुभारंभ राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस मौके पर संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे चौ० चरण सिंह विश्वविद्यालय हिसार और महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के वीसी प्रो० केपी सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय की जमीन ट्रांसफर हो गई है जो कि 118 एकड़ 11 कनाल और चार मरले है। उन्होंने बताया कि इस विश्व के अंतर्गत झज्जर के रैया में, जींद के बधाना और अम्बाला के चंदसोली में रिसर्च सैंन्टर खोलने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। इस वर्ष महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्सो में एमएससी और पीएचडी की कक्षाएं शुरू होंगी। उन्होंने बताया कि राज्य के चार किसानों की ऐप्लिकेशन राष्ट्रीय अवार्ड के लिए भेजी थी जिनमें से तीन किसानों का राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चयन हुआ है। यही नहीं 20 साल के बाद चौ० चरण सिंह विश्वविद्यालय को सरदार पटेल अवार्ड भी मिलने जा रहा है। इसके लिए उन्होंने सभी को बधाई दी।
इस मौके पर संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे चौ० चरण सिंह विश्वविद्यालय हिसार और महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के वीसी प्रो० केपी सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय की जमीन ट्रांसफर हो गई है जो कि 118 एकड़ 11 कनाल और चार मरले है। उन्होंने बताया कि इस विश्व के अंतर्गत झज्जर के रैया में, जींद के बधाना और अम्बाला के चंदसोली में रिसर्च सैंन्टर खोलने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। इस वर्ष महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्सो में एमएससी और पीएचडी की कक्षाएं शुरू होंगी। उन्होंने बताया कि राज्य के चार किसानों की ऐप्लिकेशन राष्ट्रीय अवार्ड के लिए भेजी थी जिनमें से तीन किसानों का राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चयन हुआ है। यही नहीं 20 साल के बाद चौ० चरण सिंह विश्वविद्यालय को सरदार पटेल अवार्ड भी मिलने जा रहा है। इसके लिए उन्होंने सभी को बधाई दी।
कार्यक्रम में चौ० चरण सिंह विश्वविद्यालय के निदेशक एसके सेठी ने पावर प्वाईंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से रिसर्च उपलब्धियों को लेकर विभागीय रिपोर्ट प्रस्तुत की। मधुमक्खी पालन व्यवसाय के बारे में तथा फसलों के विविधकरण के बारे में विस्तार से बताया । सेमिनार में नई दिल्ली एआईसीआरपी के प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर डा० आरके ठाकुर ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी की चार विशेष प्रजातियां भारत में उपलब्ध हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मधुमक्खी को स्वरोजगार तथा कौशल विकास देने में भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन के लिए प्रत्येक जिले में एक केन्द्र खोला जा रहा है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा अखिल भारतीय मधुमक्खी पालन एवं प्रांगण सहायक कीट परियोजना के अंतर्गत 26 केन्द्र पूरे देश में कार्यरत हैं।
राज्यपाल ने सेमिनार से पहले सीएसएसआरआई के प्रांगण में मधुमक्खी पालन विषय पर लगी प्रदर्शनी भी देखी तथा किसानों से बातचीत भी की। सेमिनार में राज्यपाल व आए हुए अतिथियों का स्वागत महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा० समर सिंह ने किया तथा महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कालेज आफ डीन प्रो० एसके सहरावत ने धन्यवाद किया। संगोष्ठी में गोल्डन पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में राज्यपाल को स्मृति चिन्ह देकर भी सम्मानित किया गया।
इस मौके पर सीएसएसआरआई के निदेशक पीसी शर्मा, भारत सरकार के सहायक कमीशनर एसके मल्होत्रा, एनबीबी नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक बीएल सारस्वत, उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़, एसपी जशनदीप सिंह रंधावा, एडीसी डा० प्रियंका सोनी, एसडीएम योगेश कुमार, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह सहित भारी संख्या में किसान, वैज्ञानिक तथा विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।