नई दिल्ली – हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के OSD राजकुमार भारद्वाज ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है । राजकुमार भारद्वाज दिल्ली हरियाणा भवन में ओ एस डी मीडिया के पद पर कार्य कर रहे थे।राजनैतिक गलियारों में राजकुमार के इस्तीफा देने के पीछे अलग- अलग कयास लगाए जा रहे हैं जिनमें एक ये है कि उन्होंने खुद इस्तीफा दिया है या फिर इस्तीफा उनसे लिया गया है। सूत्रों की मानें तो राजकुमार ने इस्तीफा बेशक अब दिया मगर पिछले 3 महीने पहले ही उनसे सभी सरकारी सुविधाएं ले ली गई थी और हरियाणा भवन आने के लिए भी मना कर दिया गया था। ऐसा भी माना जा रहा है कि सीएम राजकुमार की कार्य शैली से संतुष्ट नहीं थे ।यही वजह रही कि उन्हें सरकार के 1000 दिन पूरे होने पर सी एम् द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस से दूर रहने को कहा गया और इससे पहले ही इस्तीफा देने को कहा गया था। राजकुमार मनोहर लाल के चुनाव में करनाल में काफी सक्रिय रहे थे जिसके बदले उन्हें ओ एस डी मीडिया के पद पर नियुक्त किया गया था । ये दीगर बात है कि करनाल चुनाव में मीडिया देख रहे व्यक्ति को राजकुमार ने सरकार बनते ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था । अमित आर्य को सी एम् का मिडिया सलाहकार बनाया गया जबकि चुनाव के दौरान अमित की कोई भूमिका नहीं रही । मनोहर लाल के चुनाव से जुड़ा हर व्यक्ति जनता है कि चुनाव में मनोहर लाल की इमेज बिल्डिंग का कार्य कौन कर रहा था और मीडिया खबरें कहां से प्राप्त कर रहा था।
प्रोफ़ेसर बनने की कोशिशें —
पिछले दिनों ये खबरें भी अखबारों की सुर्खियां बनी थी कि राजकुमार को नियमो की अनदेखी करके गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त किया जा रहा है ।राजकुमार द्वारा विश्विद्यालय में साक्षात्कार दिए जाने पर इस बात पर काफी हंगामा हुआ था कि कोई व्यक्ति प्रोफ़ेसर के पद पर कैसे नियुक्त किया जा सकता जो न पी -एच डी है न नेट और ना ही आउट स्टैंडिंग स्कॉलर है।
ओ एस डी के इस्तीफे के चर्चे और गैर की महफ़िल –
मनोहर सरकार में इससे पहले ओ एस डी जवाहर यादव और विजय शर्मा का इस्तीफा भी खूब चर्चा का विषय बना था। विजय शर्मा और जवाहर यादव अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार जगदीश चोपड़ा भी सरकार के संकट मोचक बन कर आए मगर वो संकट मोचक बन नही पाए लिहाज़ा उन्हें उनके पद से हटा कर हरियाणा टूरिज्म का चैयरमैन लगाया गया था। एचसीएस अधिकारी ओएसडी मुकुल कुमार की जगह भी अमरजीत की नियुक्ति हुई ।बहरहाल अब देखना ये है कि अब किस ओ एस डी का काम सत्ता के तराजू के तौल में खरा उतरता है और कौन हल्का होकर बाहर निकलता है।