कान्तापाल / नैनीताल – हर साल करोड़ो रूपये के पौधै लगाए जाने के बाद भी प्रदेश के जंगलो में बदलाव देखने को नही मिल रहा है। मिट्टी की उर्वरा को बढाने वाले फर्न प्रदेश के जंगलो से तेजी से गायब हो रहे है, जिस कारण जंगलो में पौधे नही पनप पा रहे हैं l एक अनुसंधान के शोध से यह खुलासा हुआ है। अगर इस शोध को गंभीरता से लिया गया तो अब वन विभाग को भी हर साल करोड़ो रूपये खर्च कर पौधरोपण का तरीका बदलना पड़ सकता है।
पर्यावरण शब्द आते ही हम सभी को पेड़ लगाने की याद आ जाती है। वन विभाग के ही एक शोध में यह बात सामने आयी है कि पर्यावरण संतुलन में घास, झाड़ी, फर्न जरूरी है। जंगल में बिगड़ते जैव संतुलन पर एक शोध किया तो पाया कि जंगल में बढ़ती इंसानी दखल से जंगलो में पाया जाना वाला फर्न तेजी से उत्तराखण्ड के जंगलो से गायब हो रहा हैं l बीते दशकों में इसका संरक्षण नही होने से ये विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गया है। उत्तराखण्ड के जंगलो में फर्न की कई प्रजातियां मिलती थी l शोध में यह सामने आया है कि जंगलो में उगने वाला फर्न पौधो की मृत्यु दर को कम करता है। कारण यह भी है कि फर्न मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। ललित तिवारी, प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान ने बताया कि फर्न मिट्टी में नाइट्रोजन को रोक कर रखने के साथ ही जमीन के अंदर भारी धातुओं को समाप्त करने में भी मददगार साबित होता है, दिखने में सुंदर और आकर्षण होने की वजह से घरेलू सामान की सजावट में भी उपयोग किया जा सकता है।