करनाल-छठ महापर्व हमें प्रकृति से प्रेम, जल व वायु को स्वच्छ रखने और सामाजिक समरसता का संदेश देता है:- नायब सैनी

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करनाल- मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने वीरवार को महा छठ पर्व महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। मुख्यमंत्री सबसे पहले पश्चिमी यमुना नहर के किनारे पर स्थापित भगवान सूर्य देव मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा आर्शीवाद लिया। इसके बाद मुख्य मंच पर भगवान सूर्य देव के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके पश्चात यमुना नहर के छठ घाट पर अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया और प्रदेश की जनता की सुख समृद्धि के लिए कामना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का छठ पर्व सेवा समिति मंडल करनाल के अध्यक्ष सुरेश यादव सहित अन्य पदाधिकारियों ने पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने भी समिति की ओर से रखी गई सभी मांगों को सहजता से स्वीकार किया और अपने ऐच्छिक कोष से 21 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में देने की घोषणा की।  मुख्यमंत्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि  सूर्य पुत्र महावीर-दानवीर कर्ण की नगरी करनाल में छठ पर्व की पूजा में शामिल होने का अवसर मिला है। मैं सभी माताओ-बहनों को छठ महापर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। साथ ही कामना करता हूं कि छठ मैया सदैव आपकी झोली खुशियों से भरकर रखे। उन्होंने कहा कि मूल रूप से पूर्वांचल में मनाया जाने वाला यह पर्व अब विभिन्न प्रदेशों की सीमाएं लांघकर देशभर में मनाया जाने लगा है।
उन्होंने कहा कि छठ महापर्व हमें प्रकृति से प्रेम, जल व वायु को स्वच्छ रखने और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। सूर्य की उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति व आस्था का प्रकृति से गहरा जुड़ाव है। छठ पूजा के जरिए हमारे जीवन में सूर्य के प्रकाश के महत्व को बताया गया है। चढ़ते सूरज की पूजा हर कोई करता है, लेकिन आप सूरज के हर रूप की पूजा करते हैं। इसमें ढलते सूरज की पूजा करना भी अद्भुत है। इससे यह संदेश जाता है कि हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में समान भाव रखना चाहिए। छठ पूजा को सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना गया है। ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता सूर्य नारायण की पूजा इस पर्व के दौरान मनोकामना पूर्ति, समृद्धि और प्रगति प्रदान करने के लिए की जाती है। इस पर्व के दौरान सभी श्रद्धालु जल में खड़े होकर भगवान सूर्यनारायण को जल अर्पित करते हैं। इससे हमारे मन में यह भाव भी दृढ़ हो जाता है, जिस तीर्थ के जल में हम पूजा करते हैं, उसे साफ-सुथरा रखना हमारा कर्तव्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्र की तरह यह पर्व भी साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में आता है। छठ पूजा का सम्बन्ध हरियाणा से भी है। एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की थी। आज भी यहां सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव दिखता है। यह पर्व आपसी प्रेम और समानता का संदेश भी देता है।
उन्होंने कहा कि भगवान सूर्यनारायण मन्दिर इसी आस्था और श्रद्धा का परिणाम है। हर साल हजारों श्रद्धालुओं द्वारा यहां छठ पर्व मनाने की परंपरा को देखते हुए हरियाणा सरकार ने पश्चिमी यमुना कैनाल पर 4 करोड़ 48 लाख रुपये की लागत से स्नान घाट का निर्माण किया है। खुशी की बात है कि इसी घाट के सामने नहर के दूसरे किनारे पर भी स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक और घाट का निर्माण हो चुका है। आज भी इन घाटों पर भारी संख्या में महिलाएं पूजा कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल परिवारों की महिलाएं बहुत मेहनती है और हर समय अपने परिवार के लिए कठोर साधना करती है। इसी साधना का परिणाम यह है कि छठ पूजा के दिन घंटों पानी में खड़े  रहकर भगवान श्री सूर्य नारायण की पूजा करती है। आज भी अनेक माताएं-बहनें यह पूजा कर रही हैं। उन्होंने उनकी श्रद्धा, सहन शक्ति, धैर्य और साहस को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति की क्षमताओं को पहचानते हुए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि  आप सबने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के संकल्प को पूरी तरह साकार करके दिखाया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही मार्गदर्शन में श्रमेव जयते में विश्वास करते हुए पिछले 10 वर्षों में  गरीब जनता की सुरक्षा, सम्मान और समृद्धि के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं। जहां श्रमिकों की कार्यस्थल पर सुरक्षा को मजबूत बनाया है, वहीं उनका दुर्घटना बीमा भी किया जाता है और उनके सामाजिक सरोकारों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।  श्रमिक परिवारों को कन्यादान स्कीम के तहत तीन बेटियों की शादी तक हर शादी में 51 हजार रुपये का कन्यादान तथा 50 हजार रुपये शादी का प्रबंध करने के लिए दिये जाते हैं। इसी प्रकार, बेटे व स्वयं की शादी पर भी 21 हजार रुपये की शगुन राशि दी जाती है।
उन्होंंने कहा कि मुख्यमंत्री महिला निर्माण श्रमिक सम्मान योजना के तहत सभी पंजीकृत श्रमिक बहनों को कपड़ों व उनकी व्यक्तिगत जरूरत के लिए 5100 रुपये की सालाना वित्तीय सहायता दी जाती है।  इसके अलावा महिला श्रमिकों को सिलाई मशीन खरीदने के लिए 4500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। महिला श्रमिकों को प्रसूति के उपरांत 36 हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। श्रमिक की कार्यस्थल पर दुर्घटना होने पर श्रम कल्याण बोर्ड द्वारा तुरन्त 3 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। बोर्ड द्वारा श्रमिकों की दिव्यांगता पेंशन 3,000 रुपये कर दी गई है और 60 वर्ष की आयु उपरान्त 1000 रुपये की राशि अतिरिक्त दी जाती है। मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक की काम के दौरान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर श्रमिक के परिवार को 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के कल्याण के लिए हरियाणा असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा बोर्ड गठित किया गया है। न्यूनतम वेतन प्रणाली की विसंगतियों को भी दूर किया है।

इस अवसर पर करनाल के विधायक जगमोहन आनन्द ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तथा अन्य जनप्रतिनिधियों को स्वागत किया और हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी अपने पुराने हलके के लोगों से आज भी उतना ही प्रेम प्यार करते है जितना सीएम सिटी रहते हुए करते थे। यह इनके प्रेम-प्यार का ही परिणाम है कि आज छठ महापर्व के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए और भगवान सूर्य देव से आर्शीवाद लिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी अपने राजधर्म का पालन करते हुए जनसेवा कर रहे है और गरीब लोगों की भलाई के लिए नित नई-नई योजनाएं लागू कर रहे है।