करनाल – सियासत में वही पुराने खिलाडी

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करनाल- हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का आज आखिरी दिन था l नामांकन होते ही चुनावी बिगुल बजने लगा है l इस चुनाव में भी ज्यादातर उन्ही परिवारों के सदस्यों को टिकट मिला है जो देश की आज़ादी के बाद लोकतंत्र में सिर्फ जनसेवा के लिए ही चुनाव लड़ने आये थे l  लेकिन जैसे जैसे परिस्थितियां बदलने लगी उनके परिवारों की रूचि भी सत्ता की चकाचौंध में आने के लिए लालायित होने लगी क्योंकि यह ही एक ऐसा माध्यम है जो बिना किसी जोखिम के ज्यादा फलता फूलता है और कुछ ही समय में उनकी सम्पति में अचूक बढ़ौतरी होने लगती है l तभी तो हर नेता अपने परिवार के लिए अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाता है ,  किसी कार्यकर्ता के लिए नहीं ,वह हर कोशिश करता है कि उसका ही परिवार ,बच्चे आगे आयें  उसकी विरासत संभाले कोई अन्य नहीं l जैसा कि इस चुनाव में हर पार्टी में नेताओं द्वारा कितनी भी दलीलें देने के बाद भी देखा जा रहा है l

हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा बने थे इसके बाद चौधरी बंसीलाल मुख्यमंत्री बने उनका परिवार राजनीति में आया ,फिर चौधरी भजनलाल का परिवार , वीरेंद्र सिंह का परिवार , चौधरी देवीलाल का परिवार , शमशेर सिंह सुरजेवाला का परिवार इसी तरह अन्य जगहों पर भी हलकों के हिसाब से जो कोई भी पहले आया उसी ने उस हल्के को अपनी जागीर की तरह समझ कर काम करना शुरू कर दिया  l चाहे इसके लिए उसे किसी भी पार्टी में जाना पड़े लेकिन वह सत्ता में ही बने रहना चाहता है l ऐसे हालात में आमजन तो राजनीति में आने की भी दूर दूर तक सोच नहीं सकता l

वोटर के रूप में आम जनता तो केवल वोटर मशीन का बटन बनकर रह गई है l लोकतंत्र की दुहाई देने वाले नये चेहरों ,महिलाओं , युवाओं आगे लाने का दम भरने वाले केवल जुबानी जंग से ही काम चलाकर निकल जाते हैं l आमजन तो  इस लोकतंत्र में सिर्फ बौना बनकर रह गया है l यही कारण  है कि अब देश में पार्टियों की बाढ़ सी आ गई है , कोई मजहब के नाम पर , कोई जात के नाम पर , कोई अत्याचार के नाम पर पार्टियों का गठन कर अपनी दुकान चला रहा है l