करनाल में कुछ युवा साथियों ने पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण को बड़ी संजीदगी से लिया है। जल संरक्षण के लिए गली गली घूमकर बहते नलों को ठीक करना व नये टैप लगाने, मुरझाए पोधों की जगह नये पोधे लगाने व उनकी देखभाल के इलावा ये लोग पशु पक्षियों के विभिन्न प्रोजेक्ट पर समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं।
इन युवाओ ने गौरिया (चिड़िया) के संरक्षण के लिए पिछले वर्ष करनाल व आसपास के क्षेत्रों में रिहायशी मकानों, पार्कों, मंदिरों, फैक्ट्री, जी टी रोड स्थित प्रसिद्ध रेस्टोरेंट्स आदि अनेक जगह पर 300 से अधिक मजबूत लक्कड़ से बने घोंसले व बर्ड फीडर लगा गए हैं। ये लोग इस वर्ष इन घोसलों की संख्या को कम से कम 2100 तक लेकर जाने के प्रति आशावान हैं।
लक्कड़ के घोंसले बनाने की लागत अधिक होने व इसे बनाने में अधिक समय लगने के कारण उन्होंने काफी शोध के बाद गौरिया के अनुकुल नये व किफायती घोसले बनाये गए हैं। इन घोसलों को प्रोजेक्ट “लौट आओ गौरेया” के तहत शाम नगर करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम में करनाल के डीविशनल फारेस्ट अधिकारी वीजेंद्रे सिंह व अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी खिलाडी रिधि फोर द्वारा लांच किया गया।
कभी हर मुंडेर और आंगन में दाना दिखते ही आ जाने वाली गौरेया अब नहीं दिखती। परिवार के सदस्य जैसी रहने वाली गौरेया आज खत्म हो जाने की कगार पर है। गौरैयाओं की लगातार घटती संख्या को देखते हुए इनको बचाने की एक मुहिम के तहत सत्या फाउंडेशन के वालंटियर समय समय पर लोगों के बीच जाकर गौरैयाओं के लिए घोसले लगाने के साथ साथ खाने व पानी के लिए भी जागरूकता कैंपों का आयोजन करते रहते हैं। आमजन को गौरिया (चिड़िया) के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम मे न केवल गौरिया के लुप्त होने पर चिंता जाहिर की गयी बल्कि उनके संरक्षण के विभिन्न उपायों पर भी चर्चा की गयी।
कार्यक्रम की शुरुवात में बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे बच्चों द्वारा गौरिया व पर्यावरण से सम्बंधित चित्र बनाये गए। इस प्रतियोगिता में दीक्षा ने प्रथम, भारती ने दूसरा व गुनगुन ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
इसके बाद बच्चों ने गौरिया व पर्यावरण से सम्बंधित कवितायें सुनाकर उपस्थित लोगों के मन में गौरिया के प्रति न केवल संवेदना बलिक उनके संरक्षण के लिए संकल्प लेने के लिए भी प्रेरित किया। डॉ सोनिया की “तुम बहुत याद आती हो गौरैया…” व सुरेखा की “राह ताकता है घर,लौट आओ गौरैया” आदि कविताओं पर श्रोताओं ने खुलकर प्यार लुटाया।
उपस्थित लोगों व बच्चों के मन में गौरैया और पक्षियों के लेकर काफी जिज्ञासाएं थीं, जिनका समाधान “लौट आओ गौरेया” अभियान के प्रकल्प प्रमुख नविन वर्मा व संदीप नैन ने किया। बच्चों ने गौरैया क्या खाती है, कहां रहती है, सबसे बड़ा पक्षी कौन सा है, छोटा पक्षी कौन सा है, पेंग्युइन पक्षी है या मेमल्स जैसे कई सवाल पूछे। बच्चों ने हवाई जहाज की तकनीक के पक्षियों से प्रभावित होने के बारे में भी जानकारी ली। वहीं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने घर में अपने बुजुर्गों द्वारा पक्षियों के लिए दाना-पानी डालने के अनुभव भी सुनाए। इस अवसर पर पक्षियों से जुड़े रोचक तथ्य बताने के साथ गौरैया के लिए दाना डालने, नेस्ट बॉक्स बनाने की जानकारी दी।
डीविशनल फारेस्ट अधिकारी वीजेंद्र सिंह ने उपस्थित लोगो को पक्षियों के बारे महत्वपूर्ण जानकारी साँझा की और अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। रिधि फ़ोर ने बच्चों को अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंत में संस्था द्वारा बनाये गए घोसलों को प्रदर्शित किया गया और मुख्यातिथि व अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा इनका निशुल्क वितरण भी किया गया। इस अवसर पर राहगीरी करनाल के इन्चार्ग सुरेश पुनिया, रोहित अगरवाल, संजीव वर्मा, दवेंदर वर्मा, विजय सिंह, आशीष शर्मा, सुनील सहगल,परवेश जोगी, मनोज फोर आदि उपस्थित थे।