रिपोर्ट-निखिल/कुल्लू- शुक्रवार को मनाली विधानसभा क्षेत्र के फोजल गांव में स्वर्ण जाति के लोगों ने दलितों को देवता के नाम से डरा कर श्मशान घाट में महिला के शव को जलाने से रोका है। जिस कारण दलित परिवारों ने देवता की डर और स्वर्णों की डर से महिला को श्मशान घाट में ना जला कर नाले में नदी के किनारे जलाया । हैरानी इस बात की है कि इकीसवीं सदी के दौर में छुआछूत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के मनाली विधानसभा क्षेत्र के तहत फोजल के धारा गांव में सवर्ण समाज ने श्मशान घाट पर दलित महिला का अंतिम संस्कार करने से रोक दिया। इसके उन्होंने छुआछूत का हवाला दिया। गौर है कि मनाली के तहत फोजल के धारा गांव में एक दलित महिला की मौत हो गई थी। इसके बाद जब परिजन उसका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट लेकर गए तो सवर्ण समाज के लोगों ने उन्हें अंतिम संस्कार करने से रोका और छुआछूत का हवाला दिया। सवर्णों के विरोध के बाद दलित समाज के लोगों को महिला का शव को नाले में जलाना पड़ा। इस घटना के बाद दलित समाज के लोगों ने सवर्ण समाज के लोगों की सोच पर सवाल उठाते हुए सरकार व प्रशासन से मामले में उचित कार्रवाई की मांग की।गांव के निवासी केहर सिंह, मेहर चंद, शिव राम, तापे राम ने बताया कि हुरंग पंचायत की ओर से श्मशान घाट सभी के लिए बनाया था। ऐसे में छुआछूत करना अपराध है। भीम युथ फाउंडेशन के अध्यक्ष व कोली समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष अमरचंद शलाहठ ने इस मामले का कड़ा विरोध किया है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की प्रशासन से मांग की है। सरकार व प्रसाशन इस तरह की घिणौनि हरकत करने वाले लोगों पर कड़ी कार्यवाही नहीं करते है तो वह आंदोलन का रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि दलितों पर जीते जी तो छुआछूत जैसे अत्याचार करते हैं लेकिन मरने के पश्चात भी छुआछूत लगाने वालों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होना चाहिए । उधर पंचायत प्रधान आशा देवी ने इस मामले पर पर्दा डालते हुए इस तरह का बयान दिया है। कहा कि श्मशान घाट सार्वजनिक स्थान हैं और इसको लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्मशान घाट पूरी तरह से तैयार नहीं है और यहां अभी तक भट्ठी नहीं लगी है, जिसके चलते किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं किया है।