रिपोर्ट -कांता पाल /नैनीताल -उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रदेश की जेलों में आजीवन की सजा काट चुके कैदियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी रिहा नही करने के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद आज मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा है कि कल तक 28 कैदियों को रिहा करें। जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। और जिनका जेल नियमों के तहत आचरण ठीक हों। जिनको रिहा करने पर समाज कोई खतरा नहीं है। अन्य अपनी सजा काट चुके कैदियों के मामले में कोर्ट हर शनिवार सुनवाई करेगी। आज राज्य सरकार की तरफ से कहा कि कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार इस पर शीघ्र निर्णय ले रही है।
आपको बता दे कि पिछले 17 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद ओपन जेल का निरीक्षण किया। वहाँ वे उन कैदियों से भी मिली जिनकी सजा पूरी हो चुकी थी परन्तु उन्हें आज तक रिहा नही किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के अधिकारों को समझाते हुए प्रदेश के सभी जेल प्रबंधकों से इसकी लिस्ट मांगी कि प्रदेश में ऐसे कितने कैदी हैं जिन्होंने आजीवन कारावास का समय काट लिया गया है परन्तु उन्हें अभी तक रिहा नही किया गया। जिसमें 167 ऐसे कैदी मिले। मुख्य न्यायाधीश ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पाते हुए स्वतः संज्ञान लेकर गृह सचिव, सचिव न्याय को कोर्ट ने बीते कल तलब किया था । गृह सचिव द्वारा कहा गया कि उन्हें कल ही इस विभाग का कार्यभार संभाला है। उन्हें समय दिया जाए ।