किशोर सिंह /अजमेर – देवों में सबसे प्रथम पूजनीय गजानंद भगवान के जन्मोत्सव को लेकर अजमेर में खास तैयारियां गणेश भक्तों के लिए गणेश मंदिर इस बार की गई है इसी बात को ध्यान में रखते हुए हर बार की तरह इस बार भी बालू गोमां गली में स्थित कार्य सिद्धि गजानंद मंदिर में इस बार गणेश भक्तों के लिए इको फ्रेंडली लौंग , इलाइची और सुपारी से निर्मित गणेश प्रतिमा के साथ एक विभिन्न अलग-अलग तरह के विभिन्न अनाजों से निर्मित गणेश प्रतिमा को भक्तों के दर्शनों के लिए बनाया गया है l
अजमेर में आगरा गेट के बालू गोमा गली में कार्य सिद्ध गजानन मंदिर में हर साल गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भक्तों के लिए एक खास आयोजन किया जाता है इस साल मंदिर की प्रबंध कमेटी ने गणेश भक्तों के लिए पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए 2 खास गणेश प्रतिमाओं का निर्माण करवाया है मंदिर के पुजारी कैलाश गुप्ता ने बताया कि इस बार जिस तरह से पर्यावरण लगातार दूषित होता जा रहा है उसको ध्यान में रखते हुए मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा को बनाने के लिए सबसे ज्यादा इलायची, सुपारी और लौंग और काली मिर्ची का प्रयोग करके एक सुंदर प्रतिमा का निर्माण मंदिर में आने वाले गणेश भक्तों के लिए करवाया है ताकि 9 दिन गणेश जी की आराधना करने के बाद जब इस मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा उस दौरान किसी भी तरह से पर्यावरण दूषित न हो सके इस बात का खास ध्यान रखा गया है ,वही एक और भगवान श्री गणेश की प्रतिमा भी अपने आप में आकर्षण का केंद्र अजमेर में बनी हुई है जिसमें भी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सिर्फ अनाजों को इस्तेमाल किया गया है और यह गणेश प्रतिमा गेहूं के दाने और विभिन्न तरह की अलग-अलग दालो और चावल के दानों से निर्मित की गई है l
वही गणेश भक्त पीके श्रीवास्तव का कहना है कि इस मंदिर की ऐसी महिमा है या आने वाला हर भक्त भगवान श्री गणेश जो भी अपनी अरदास उनके सामने रखता है वह स्वत ही पूरी हो जाती है यही वजह है कि इस मंदिर में हर साल एक अनूठा आयोजन गणेश भक्तों के लिए किया जाता रहा है और इस बात जिस तरह का आयोजन गणेश भक्तों के लिए किया गया है वह अपने आप में राजस्थान में पहला आयोजन है जब इस तरह से लौंग इलाइची ,काली मिर्ची और सुपारी से भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को बनाया गया है इसके अलावा जिस तरह से गेहूं और दालों से भगवान श्री गणेश की दूसरी प्रतिमा को बहुत सुंदर तरीके से बनाया गया है वह अपने आप में एक अनूठा और इको फ्रेंडली प्रयास पर्यावरण को बचाने के लिए किया गया है जिसको की हर गणेश भक्तों को गणेश चतुर्थी के दिन अपनाना वर्तमान समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि आज तक जिस तरह से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता रहा है और विसर्जन के बाद प्रतिमाओं में इस्तेमाल किए गए केमिकल से ना सिर्फ पानी दूषित होता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है यह संदेश देने के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण इस कार्य सिद्धि गणेश मंदिर में किया जाना अपने आप में एक अनुकरणीय उदाहरण है l