केलांग (हि०प्र ०) – चन्द्रभागा संगम पर्व 29 जून को, नदी धरोहर के सम्मान के लिए स्थानीय जनता कटिबद्ध

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रिपोर्ट-प्रेम/केलांग –  विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापक अशोक सिंघल के अस्थि विसर्जन से आरम्भ किये गए चन्द्रभागा संगम पर्व को तीसरे वर्ष भी धूमधाम से मनाया जायेगा । यह जानकारी संगम पर्व आयोजन समिति के प्रमुख डॉ चन्द्र मोहन परशीरा ने दी । उन्होंने कहा कि आर्थिक संकटों के चलते पहले संगम पर्व को छोटे स्तर पर मनाने की सहमति  बनी थी लेकिन पिछले कल लाहुल में हुई बैठक में स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया कि चन्द्र भागा संगम पर्व को पूर्व की भांति ही धूम धाम से मनाया जायेगा तो समिति अब एक बार पुन: पुरे जिले से लोगों को संगम पूजन तथा संगम पर्व में आने के लिए निमंत्र्ण देगी । उन्होंने बताया कि चन्द्रभागा संगम जिसे वैदिक समय में असिक्नी तथा उर्दू के आगमन के बाद चिनाब के नाम से भी जाना जाता है, यह विश्व की एक समृद्ध संस्कृति से युक्त प्रसिद्ध नदी है जिसमे द्रौपदी के बाद से ही अस्थि विसर्जन की परंपरा रही है ।

चन्द्रभागा संगम काशी की भांति एक महाशमशान भी है जिसे बौद्ध द्रुथोद त्सेंमो कहते है । परशीरा ने बताया कि संगम का पानी गंगा के पानी की तरह कभी खराब नहीं होता है तथा इन्ही विशेषताओं को देख कर तीन

वर्ष पहले चन्द्रभागा संगम पर्व के आयोजन की शुरुआत की थी ।  चन्द्रभागा संगम पर्व में दोनों बार देश के प्रसिद्ध लोग पहुंचे हैं जिनमे भारत सरकार के संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर
लाल खट्टर, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, मनाली के तत्कालीन विधायक गोविन्द ठाकुर तथा विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन महा मंत्री दिनेश चन्द्र आदि प्रमुख हैं । संगम पर्व के स्थान पर पूर्व के सरकार ने घाट बनाने के लिए उदघाटन पट्टिका भी लगायी थी तथा वर्तमान सरकार भी यहाँ पर घाट निर्माण की बात कर चुकी है । डॉ महेश शर्मा ने जहाँ प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए 200 करोड़ की घोषणा की थी वहीँ पहले संगम पर्व में स्थानीय सांसद राम स्वरूप शर्मा ने संगम स्थल पर बौद्ध स्तूप बनाने की घोषणा की थी । इस के पश्चात पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने भी पचास लाख की घोषणा कर के संगम घाट का शिलान्यास भी कर दिया था । इन सबके बाबजूद संगम पर्व समिति के अध्यक्ष डॉ चन्द्र मोहन परशीरा का मत काफी भिन्न है । वह कहते हैं कि हम पहले राष्ट्रिय स्तर पर इस वैदिक नदी के लिए वृहद् आस्था का निर्माण करना चाहते हैं जो संगम पर्व के साथ धीरे धीरे सुदृढ़ हो रहा है । उनके अनुसार बिना श्रधा के यदि सोने का भी घाट बना देंगे तो लोग धीरे धीरे उसे नोचने लगेंगे । उन्होंने देश तथा विदेश में चन्द्रभागा संगम के इतिहास तथा हिन्दू बौद्ध मिश्रित धरोहर पर कई पत्रिकाओं में लेख लिखे हैं । डॉ परशीरा ने कहा कि इस वर्ष भी गाँव गाँव से यथा इच्छा अनाज का दान इकठ्ठा किया जायेगा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे । पूर्व के वर्षो की भांति इस बार भी  हिन्दू एवं बौद्ध रीति से संगम पूजन किया जायेगा । संगम पर्व में सदा की भांति हिन्दू एवं बौद्ध धर्म गुरुओं को भी बुलाया जायेगा तथा मुखातिथि के विषय भी शीघ्र ही चर्चा की जाएगी । बैठक में गौशाल, मुलिंग, बरगुल, शिपटिंग, तांदी आदि गाँव के लोगों ने भाग लिया जो चन्द्रभागा संगम के निकटवर्ती गाँव हैं ।