कांतपाल/ नैनीताल – पूरे देश समेत उत्तराखंड में पानी की कमी को देखते हुए आज नैनीताल में जल संचय दिवस एक अनोखी पहल के साथ मनाया गया । यहाँ पहाड़ी से बरसाती पानी के बहने के रास्ते में लकड़ी और रस्सियों का जाल बनाकर उसमें पिरूल डाल दी गई । विशेषज्ञों का कहना है कि इसके माध्यम से पानी की रफ़्तार थमेगी और पानी जमीन में रीसकर(परक्यूलेट)लंबे समय तक श्रोत के रूप में उपलब्ध रहेगा ।
“पानी के बिना जीवन संभव नहीं” इस सोच के साथ वन विभाग के अधिकारी पानी बचाने की मुहिम में जुट गए हैं । आज जल संरक्षण दिवस के मौके पर नैना रेंज के भूमियाधार क्षेत्र में ना केवल भूमियाधार तालाब का निर्माण किया गया बल्कि पानी बचाने के कई उपाय किये गए । विभाग ने यहाँ स्कूली छात्र-छात्राओं को जल संरक्षण का महत्त्व बताते हुए पानी के बहाव को प्राकृतिक संसाधनों जैसे पिरूल, लकड़ी, बांस, रस्से, चाल खाल, पानी की डिक्की बनाकर संरक्षित करने के गुर बताए । विभाग ने बताया की उन्होंने पहाड़ी से उतरने वाले जल बहाव को थामने के लिया
जल संवर्धन किया, तालाब बनाए, चाल खाल बनाए, सैलेक्स पौधे, उतीस पौधे लगाए, पिरूल डालकर चैक डैम बनाए, पानी की डिक्की बनाए । जल संरक्षण दिवस के रोज जल श्रोत के रूप में डेवलप किये गए तालाब को लाड़ियाकांटा जोखिया तालाब का नाम दिया गया है । इस मौके पर राजकीय इंटर कॉलेज भूमियाधार के 22 छात्र छात्राओं ने जल संरक्षण और सम्वर्धन के बारे में जाना । नयना रेंज में इस वृहद् कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे कुमाऊं आयुक्त डी.सेंथिल पांडिय ने कहा कि हमें पानी बचाने के लिए जोरों से काम करना चाहिए । यहाँ एक अच्छा काम हुआ है और ऐसे ही पूरे राज्य में काम चल रहा है ।
राज्यपाल के के पॉल ने नैनीझील के गिरते जल स्तर पर चिंता जताते हुए कहा झील से जीतना पानी निकल रहा है उससे कम पानी झील में आ रहा है राज्यपाल ने नागरिकों से अपील कर जल संरक्षण करने को कहा हैं