किशोर सिंह/ अजमेर – आज एक ऐसे गोसेवक से आपको मिलाने जा रहे है, जो पिछले 12 साल में केवल 10 हजार से अधिक गायों की जान बचा चुका है, बल्कि दुनिया की पहली मुस्लिम गौशाला खोलने जैसी मुहिम भी शुरू कर चुका है। हम बात कर रहे हैं जोधपुर के पास भुजावर गांव के रहने वाले डॉ. आफताब अहमद की। इन दिनों डॉ. आफताब अजमेर के खरखेड़ी में एक निजी स्वयंसेवी संस्था में गोसेवा में जुटे हैं।
अजमेर में पिछले चार साल से गौ सेवा कर रहे हैं डॉ. आफताब, मारवाड़ मुस्लिम आदर्श गौशाला की स्थापना की सबसे बड़ी बात है की डॉ आफताब का चयन एमबीबीएस में हो गया था उसके बाद भी इस गो सेवक ने गायों की सेवा करने के लिए चिकित्सक का प्रोफेशन को महत्वता देते हुए इसी को अपना उदेश्य बना लिया , वर्तमान में डॉ आफताब अजमेर के खरखेड़ी के ट्रीज ऑफ लाइफ फॉर एनीमल्स संस्था में अपनी सेवायें दे रहे हैं l
डॉ.आफताब का मकसद हर हाल में पशुओं की जान बचाना है। उन्होंने कहा कि अल्लाह से हमेशा यही दुआ करता हूं कि पशुओं की रक्षा-सेवा की शक्ति मिलती रहे। गोमांस यानी बीफ पर डॉ. आफताब ने कहा कि गाय का दर्जा मां का है आैर मां का मांस खाने की बात सोचना भी पाप है।
डॉ. आफताब ने वर्ष 2005 में बीकानेर कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनीमल्स साइंस से पशु चिकित्सक की डिग्री हासिल की। वे बताते हैं कि डिग्री लेने के बाद अपने गांव में सबसे पहले मारवाड़ मुस्लिम आदर्श गोशाला की स्थापना की थी, जो आज तक संचालित है। गांव में समाज के लोग उसकी सार-संभाल कर रहे हैं।
यह गौशाला दुनिया की पहली मुस्लिम गोशाला है। इसके बाद जोधपुर में एक निजी संस्था के साथ काम किया। यह संस्था पशुओं के लिए मोबाइल क्लीनिक ऑपरेट करता था। कई बार ऐसे मौके मिले जब घर-घर जाकर, दूरदराज के गांवों में जाकर गायों का ट्रीटमेंट किया। गायों की जानें बचाई। यह क्रम चलता रहा, जो आज तक जारी है। पिछले चार साल से डॉ. आफताब खरखेड़ी के ट्रीज ऑफ लाइफ फॉर एनीमल्स संस्था में सेवाएं दे रहे हैं।
डॉ. आफताब बताते हैं कि घर-परिवार में एमबीबीएस बीडीएस डॉक्टर्स तो काफी हैं, लेकिन पशु चिकित्सक कोई नहीं था। इस कारण एमबीबीएस आैर बीडीएस दोनों के लिए चयन होने के बावजूद पशु चिकित्सा काे चुना आैर गोसेवा में जुट गया। उनके चाचा डॉ. रियाज अहमद इंग्लैंड के जाने-माने अस्थिरोग विशेषज्ञ हैं। जबकि एक भाई एमडी मेडिसिन है आैर दूसरा भाई मनोचिकित्सक है। वहीं बहन स्त्री रोग विशेषज्ञ है। यही नहीं खानदान में आैर भी कई एमबीबीएस आैर बीडीएस चिकित्सक हैं। डॉ. आफताब दुबई आैर आेमान दोनों देशों में सेवाएं दे चुके हैं। वहां डेयरी में काम करके पशुओं की पर्सनल हाइजीन को बारीकी से सीखा था, जिसका आज तक बखूबी ध्यान रखा जा रहा है।