करनाल – आम जनता को भले ही इतनी लम्बी चली रोड़वेज की हड़ताल से मुश्किलों का कितना भी सामना करना पड़ रहा हो, हाँ ज्यादा दिन होने से अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल का अवार्ड जरूर ले लिया रोडवेज कर्मचारियों ने । हालाँकि इस हड़ताल से हर रोज आने जाने वाले नौकरीपेशा लोगों को, दूसरे शहरों में पढ़ने वाले छात्रों को इधर से उधर भागना पड़ा , किसी ने समय पर कहीं भी पहुंचना हो इसकी तो कौन सोचेगा l बताया जा रहा है कि इस हड़ताल से हड़ताल को रुकवाने वाले भी थक चुके हैं तो हड़ताल करने वाले भी l यानि ये हड़ताल सरकार की नाक का सवाल जरूर बन चुकी है
सोनीपत जाने के लिए करनाल निर्मल कुटिया चौक पर बस की इंतजार कर रहे विकास शर्मा ने बताया कि वह एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है और हर रोज सोनीपत आता जाता है , उसने बताया कि वह इन हड़ताल पर बैठे हुए रोडवेज के एक कर्मचारी की तनखाह का मुझे दसवां हिस्सा तनखाह मिलती है जिसके लिए मैं हर रोज अप डाउन करता हूँ हड़ताल की बात तो मेरे सपने में भी नहीं बल्कि काम पूरा न करने पर या देर से आने पर तनखाह जो मिलती है उसमें से भी कट जाते हैं l सरकारी नौकरियां लेकर आये दिन हड़ताल पर दरी बिछाकर सरकार के खिलाफ नारे लगाने वाले इन लोगों को क्या पता कि करोड़ों पढ़े लिखे बेरोजगार युवक और युवतियां बहुत कम तनखाह में भी प्राईवेट नौकरी में मेहनत करने में दिन रात भी नहीं देखते, इसके बावजूद ये तो टी ए , डी ए , बोनस , दुनिया भर के भत्ते के भी हकदार बने रहते हैं l एक तो सरकारी नौकरी और ऊपर से आये दिन हड़ताल l जबकि रेलवे विभाग के आंकड़ों के अनुसार इसके चलते रेल से सफर करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है l
मंगलवार को उनके समर्थन में विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी 2 दिन की सामूहिक हड़ताल पर चले गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब 2.52 लाख नियमित कर्मचारी हैं। करनाल के जी एम रोडवेज प्रधुमन सिंह ने बताया कि इसके चलते हमने 3 ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया है , हड़ताल पर गए 13 कर्मचारी लौट आये हैं , हमने आउटसोर्स के जरिए एजेंसी के माध्यम से ड्राइवर कंडक्टर रखकर काम को सुचारु रूप से चलाया है l
इनमें से 1.30 लाख हड़ताल पर रहे। हालांकि, कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि इनके अलावा 50 हजार आंगनबाड़ी वर्कर, 20 हजार हेल्पर और 15 हजार मिड-डे मील कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। यानी कुल 2.15 लाख कर्मचारी मंगलवार को कार्यालय नहीं गए।
बताया जा रहा है कि बायोमीट्रिक अटेंडेंस लगाने वाले भी ज्यादातर कर्मचारी प्रदर्शनों में शामिल हुए। उधर, सरकार ने सभी डिपो के जीएम व अकाउंट ऑफिसर को आदेश जारी किए हैं कि 16 अक्टूबर से हड़ताल पर चल रहे रोडवेज कर्मचारियों को उसी दिन से अनुपस्थिति मानते हुए वेतन काटा जाए।
रोडवेज यूनियनों के समर्थन में दूसरे विभागों के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर सरकार ने स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होने से रोकने के लिए पीजीआई रोहतक और मेडिकल कॉलेजों में एस्मा लगा दिया है। अगले 6 महीने तक कोई भी डॉक्टर, नर्स और स्टाफ इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे। क्योंकि इनमें हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। एस्मा को लेकर मुख्य सचिव डीएस ढेसी की ओर से आदेश जारी किए गए हैं।
सर्व कर्मचारी संघ का आरोप है कि सरकार हड़ताल समाप्त करवाने के प्रति गंभीर नहीं है। रोडवेज कर्मचारियों की तालमेल कमेटी का कहना है कि सरकार जब तक फैसला वापस नहीं लेती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल समाप्त करने के लिए सरकार व रोडवेज यूनियन के पदाधिकारियों की वार्ता भी बेनतीजा रही है केवल हंगामे के कुछ नहीं हुआ। सरकार प्राइवेट बसों की टेंडर प्रक्रिया की जांच कराने की बात कहती रही, तो कर्मचारी नेता टेंडरों को रद्द करने की जिद पर अड़े रहे, और नतीजा कुछ भी नहीं निकला l