कुल्लू – जन संगठनों की संघर्ष समिति ने गायनी डॉक्टर के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया

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कौशल/कुल्लू – क्षेत्रीय अस्पताल में खाली चल रहे गायनी डॉक्टरों के दो पदों के मामले को लेकर प्रदेश सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है। जन संगठनों की संयुक्त संघर्ष समिति जिला कुल्लू ने इस मसले को लेकर प्रदेश सरकार को खूब घेरा। जिला मुख्यालय कुल्लू में सैंकड़ों किसान, मजदूर, महिला, नौजवानों और छात्रों ने सरवरी से लेकर डीसी कार्यालय तक रैली निकाली और प्रदेश सरकार की खूब घेराबंदी की। संगठनों के नेताओं ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार को बने हुए 6 महीने होने वाले हैं लेकिन यह सरकार कुल्लू को दो में से एक भी गायनी का डॉक्टर नहीं दे पाई है। जबकि अस्पताल प्रबंधन निजी अस्पताल से किराए पर डॉक्टर लाकर प्रसूता महिलाओं का उपचार करवा रहा है। यह सरकार की विफलता का सीधा प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह विडंवना है कि जिला कुल्लू से मंत्री के रूप में गोविंद सिंह ठाकुर अपनी सेवाएं दे रहे
हैं और स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर भी कुल्लू जिला के ही हैं लेकिन उसके बावजूद भी स्वास्थ्य सेवाओं के ये हाल है। स्वास्थ्य सेवाओं के इतने बुरे हाल पहले कभी नहीं हुए।

हिमाचल किसान सभा के राज्य सह सचिव होतम सिंह सौंखला, सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर, किसान मजदूर नेता सरचंद ठाकुर ने इस दौरान सैंकड़ों महिलाओं और किसान, मजदूरों व छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिला कुल्लू में डॉक्टरों के 29 पद खाली चल रहे हैं जिनमें से 13 पद क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में ही खाली चल रहे हैं लेकिन निदेशालय और सरकार इन्हें नहीं भर पा रही है। जिसके चलते प्रदेश सरकार असहाय नजर आ रही है।

उपरोक्त नेताओं ने कहा कि इसके अलावा शिक्षा, पानी, बिजली, सड़कों की दशा भी बहुत खराब है। यह सरकार जनता को ये सुविधाएं देने में पूरी तरह से असफल हुई है। उपरोक्त विभागों में भर्ती पूरी तरह से बंद की है और सारे कार्यों को करने के लिए आउटसोर्स के माध्यम से काम करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ठेकेदारी प्रथा चल रही है जो अध्यापक तैनात किया हैं उनमें से कई अपनी सेवाएं देने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने त्रैहण स्कूल में दिहाड़ी पर रखे गए अध्यापक का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षा का इतना बुरा हाल हो गया है लेकिन विभाग के अधिकारी भी ऐसे अध्यापकों को ढील दे रहे हैं।