लखनऊ – कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहतर करने के लिए उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद करीब 100 “बाहुबलियों” या गैंगस्टरों को उनके गृह जनपद से बाहर की जेलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। योगी आदित्य नाथ सरकार इन गैंगस्टरों के स्थानीय आपराधिक जाल को तोड़ने के लिए ये कदम उठा रही है। इन गैंगस्टरों में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अतीक अहमद, शेखर तिवारी, मौलाना अनवारुल हक, मुकीम उर्फ काला, उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर, टीटू उर्फ किरणपाल, रॉकी उर्फ काकी और आलम सिंह शामिल हैं, यूपी पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (जेल) जीएल मीणा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “हालांकि माफिया डॉन सलाखों के पीछे होते हैं फिर भी वो हत्याओं, अपहरण, डकैती और फिरौती जैसे कृत्यों से अपने आतंक का राज बरकरार रखते हैं।” एक तरफ करीब 100 कैदियों को विभिन्न जेलों में स्थानांतरित किया जा रहा है वहीं राज्य के आगरा, वाराणसी और बरेली स्थिति मानसिक अस्पतालों में मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के आधार पर रह रहे विभिन्न विचाराधीन कैदियों की जांच की जा रही है। जिन कैदियों को मानसिक रूप से स्वस्थ पाया जाएगा उन्हें दोबारा जेल भेजा जाएगा।
प्रदेश के जेल प्रशासन ने शनिवार (29 अप्रैल) को वाराणसी, आगरा और बरेली के मानसिक आश्रयगृहों को पत्र भेजकर विचाराधीन कैदियों के स्वास्थ स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। अभी तक 18 ऐसे विचाराधीन कैदियों की शिनाख्त हो चुकी है जो विभिन्न मानसिक अस्पतालों में भर्ती थे। मीणा ने कहा, “इन सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।” मीणा के अनुसार पुलिस को सूचना मिली है कि अस्पताल में भर्ती विचाराधीन गैंगस्टरों से मिलने उनके गैंग सदस्य अक्सर आते रहते हैं।
पुलिस के छापे में जेल में बंद गैंगस्टरों के पास सिम कार्ड, मोबाइल फोन इत्यादि मिलते रहे हैं। मीणा कहते हैं, “किसी बाहुबली का फोन आना किसी कारोबारी, ठेकेदार या सरकारी अधिकारी को डराने के लिए काफी होता है। जो उनकी बात नहीं मानता उन्हें धमकी दी जाती है, उन पर हमला किया जाता है और कई बार हत्या भी कर दी जाती है।” मीणा कहते हैं कि ट्रांसफर करने का मकसद एक ही जेल में लंबे समय से बंद कैदियों के नेटवर्क को तोड़ना है।