मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से हमारा भारतवर्ष दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश रहा है। इस उपलब्धि को हासिल करने में एनडीआरआई जैसे अनुसंधान सस्थानों का योगदान रहा है। विगत 3 वर्षों में दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढकऱ 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच यह वृद्धि 20 प्रतिशत से भी अधिक रही है। इस प्रकार 2014-17 में डेरी किसानों की आय में 23.77 प्रतिशत वृद्धि हुई है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश के किसान की आय बढ़े, युवाओं को रोजगार मिले तथा बच्चे और माताओं को संपूर्ण पोषण मिले। इसलिए युवा स्नातकों के लिए मेरा परामर्श है कि वे किसानों व कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़ें और उनके साथ कार्य करके गौरव महसूस करें। उन्होंने कहा कि किसानों से जुड़ो भावी वैज्ञानिकों-आपके राष्ट्र को आपकी आवश्यकता है।राधा मोहन सिंह ने कहा कि हमारे किसान भाइयों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो महायज्ञ प्रारंभ किया हैं, यहां उपस्थित वैज्ञानिक समुदाय का इसमें यही महान योगदान होगा। देश में 681 कृषि विज्ञान केन्द्रों का विशाल नेटवर्क कार्य कर रहा है। सरकार राष्ट्रीय नेटवर्क पर देश के सभी गाँवों के प्रगतिशील कृषकों को जोडऩे के लिए डिजिटल एक्सटेंशन पर कार्य कर रही है।
मंत्री ने बताया कि पशुपालन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के घर तक पहुंचाने के लिए सरकार ने गौ पशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशनज्ज् को शुरू किया है। इस योजना में ब्रीडिंग इन्पुट के द्वारा मवेशियों और भैंसों की संख्या बढ़ाने हेतु आनुवांशिक अपग्रेडेशन के लिए सरकार द्वारा 825 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 13 राज्यों में 20 गोकुलग्राम स्वीकृत किए गए हैं और स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। पहला दक्षिणी क्षेत्र में चिन्तलदेवी नेल्लोर में, दूसरा उतरी क्षेत्र इटारसी, होशंगाबाद में।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि वर्तमान में, भारत में 25 वर्ष से कम आयु के 540 मिलियन युवा हैं जो कि वर्ष 2050 तक निरन्तर बढ़ते जाएंगे। आगामी दशकों में भारत को ऐसी उच्च शिक्षा प्राप्त प्रतिभावान विशाल युवा पीढ़ी की आवश्यकता है जो अर्जित ज्ञान को राष्ट्रहित में प्रचारित व प्रसारित कर सके। जिनको तैयार करने के लिए आईसीएआर के विभिन्न संस्थान लगातार प्रयासरत है।
एनडीआरआई के निदेशक डा. आरआरबी सिंह ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और एक साल में संस्थान द्वारा की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि एनडीआरआई में इस समय 928 विद्यार्थी विभिन्न संकायों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, इसमें 352 लड़कियां व 5 विदेशी विद्यार्थी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस वितीय वर्ष में विभिन्न डेरी उद्योगों को 10 टेक्नोलोजी हस्तांतरित की और 2 टेक्नोलोजी पेटैंट ग्रांट हुए।
अनुसंधान एवं शिक्षण के क्षेत्र में संकाय के संपूर्ण योगदान के लिए पशु जैव रसायन विभाग को श्रेष्ठ प्रभाग चुना गया। इस अवसर पर उन्होंने डा. राजन शर्मा को बेस्ट टीचर अवार्ड प्रदान किया गया। डा. बिमलेश मान संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) ने सारे कार्यक्रम का समन्वयन किया। आईसीएआर के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) डा. जे. जैना, डा. रामेश्वर सिंह, डा. एसके तोमर, शैक्षणिक समन्वयक, विभिन्न प्रभागों के प्रभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं स्नातक छात्रों ने समारोह की शोभा बढ़ाई।
मास्टर की कैटेगरी में मिताशा मैहता, मीरा और नैन्सी तलवार को क्रमश: गोल्ड, सिल्वर तथा ब्राँज मैडल प्रदान किया गया। वहीं पीएडी प्रोग्राम के लिए सुनील कुमार को गोल्ड, ऋतु चक्रवर्ती को सिल्वर तथा शोकत अहमद को बॉंज मैडल मिला। इसी प्रकार बीटेक डेरी टेक्नोलोजी संकाय में पारूल को गोल्ड, पल्लवी को सिल्वर तथा सोनम जैन को बाँज मैडल दिया गया। उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्रबन्धन वर्ग में श्रुति शांडिल्य, स्वाति, विकास कुमार को श्रेष्ठ थीसिस शोध कार्य हेतु प्रमाण पत्र दिया। इसी प्रकार पीएचडी प्रोग्राम में रानी, प्रियंका सैनी तथा बिशवा भास्कर को क्रमश: उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्रबन्धन वर्ग में च्श्रेष्ठ थीसिस शोध कार्य हेतु प्रमाण पत्र प्रदान किया।