कान्तापाल/ नैनीताल – 1880 में ब्रिटिश शासन काल मे तराई और पहाडी क्षेत्रो मे पानी की अापूर्ति के लिये बनाया गया भीमताल डेम इन दिनो खस्ता हाल हो गया है डेम मे बडी बडी दरारें पड गयी हैं , और जगह जगह से पानी रीस रहा है जो आने वाले किसी बडे हादसे को न्योता दे रहा है लेकिन वहीं प्रशासन इन सब से अंजान बना हुआ है।
नैनीताल जिले मे स्थित यह भीमताल झील बहुउददेश्यी है भीमताल झील का महत्व सिर्फ पर्यटन तक ही सीमित नही है l यह झील नैनीताल जिले की एक ऐसी झील है जो स्थानीय नही बल्कि हल्द्वानी के साथ तराई के कई इलाकों में गर्मियों के दौरान लोगो की प्यास बुझाती तो है साथ मे सिंचाई के लिये इसके पानी का प्रयोग किया जाता है जिसका सारा दबाव भीमताल के इस डेम मे पडता है l 1880 में ब्रिटिश काल मे बने इस डेम को सिर्फ सौ सालों के लिये बनाया गया था और इसकी आयु सिर्फ सौ साल थी लेकिन आज इस डेम को सौ साल से भी ज्यादा हो गये हैं लेकिन प्रशासन और सरकार द्वारा इसके रखरखाव के लिये कोई ध्यान नही दिया गया। जिस कारण आज भीमताल डेम भारी दबाव के चलते जगह जगह से रिसने लगा है और दरारे पडने लगी है ,जो स्थानीय लोगों के अलावा तराई के लोगों के लिये भी खतरे की घंटी है। स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि भीमताल की इस विरासत को बचाने के लिये आज तक कोई कदम नही उठाये गये हैं आज स्थिति यहां पहुंच गयी है कि इस डेम को कैसे बचाया जाये यह बडा सवाल आ खडा हुआ है l देवेन्द्र फर्त्याल, जितेन्द्र बिष्ट ने बताया कि अगर जल्द कोई कदम नही उठाये गये तो भीमताल झील का वजूद खत्म हो जाएगा ।
गौरतलब है कि भीमताल झील का महत्व सिर्फ पर्यटन से ही नही है। बल्कि हल्द्ववानी और तराई वाले भू भाग को सिचाई और पेयजल की आपूर्ति होती है। साथ ही स्थानीय लोगों की भवना इस झील से जुडी हुई है।तो वहीं सिचाई विभाग के हरीष चन्द्र सिंह ,अधिशासी अभियंता का कहना है कि उन्हाेने डेम की जांच की है पर उन्हे कोई बडी समस्या नजर नहीं आई लेकिन तस्वीरे कुछ और ही बयां कर रही हैं ।