कान्ता पाल/ नैनीताल – चीन की सीमा में बने कैलाश मानसरोवर पर्वत को हिन्दुओं की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा का दर्जा दिया गया है। उत्तराखंड के नैनीताल से होकर गुजरने वाली इस यात्रा को वर्षों से कुमाऊ मंडल विकास निगम संचालित करता है। दिल्ली से शुरू होकर 26 दिनों में दिल्ली में खत्म होने वाली एक दल की इस यात्रा में देश की तिब्बत से लगी सीमा से होकर चीन स्थित कैलाश तक पहुंचा जाता है। कई किलोमी टर पैदल चलने के बाद कैलाश में भोले के दर्शन होते हैं।
पर्वत की चोटी का रंग स्वर्णिम(गोल्डन) होने का कारण जानने के लिए हम फोटोग्राफी के लिए कई बार वहां जा चुके जाने माने फोटोग्राफर अनूप साह से मिले। उन्होंने बताया की शाम को जब सूरज की अंतिम किरण कैलाश पर्वत की चोटी पर पड़ती है तो बांकी जगह छांव होती है और धूप वाला हिस्सा गोल्डन नजर आता है। उन्होंने बताया कि दोपहर में पूरे पर्वत पर सूरज की किरण पड़ने के कारण पर्वत सामान्य सफ़ेद रंग का दिखाई देता है। उनके पास से हमें कई ऐसे फोटो मिले जिनमें ऐसे ही गोल्डन रंग का पहाड़ दिखा। हालाँकि सूरज का स्थान बदलने के बाद पर्वत का रंग भी बदलता रहता है। पर्यावरण विद ललित तिवारी का कहना है कि प्रकाश की इंटेंसिटी(प्रभाव)कम होने के कारण वातावरण में उपस्थित एयरोसोल कणों के कारण हिमालय पर्वत सुबह और शाम गोल्डन रंग दिखाई देता है । उन्होंने कार्बन की बढ रही मात्रा को भी एक महत्वपूर्ण कारण माना है ।