नन्द लाल / शाहजहांपुर – यूपी के शाहजहांपुर के जिला अस्पताल में लाखों के गबन का मामला सामने आया है जिसमें कर्मचारियों और बाबू ने मिलकर लाखों का गबन कर डाला। खास बात ये है कि घोटाले बाज कर्मचारी अभी भी कई और घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। ये घोटाले अस्पातल में जमा होने वाली सरकारी जांचों की फीस में हुआ है। अस्पताल का सीएमएस मामले को रफा दफा करने में जुटे है तो वही जिला प्रशासन ने पूरे मामले में जांच के बाद कड़ी कार्यवाही की तैयारी कर ली है।
शाहजहांपुर का जिला सयुक्त अस्पताल जो इस वक्त लाखों के घोटाले के लिए सुर्खियों में आ गया है। ये वो अस्पताल है जहां इलाज तो फ्री होता है लेकिन जांचों के ना पर जमा होने वाली फीस को यहां के कर्मचारी, और बाबू डकार गये। दरअसल जिला अस्पताल में काउन्टर नम्बर 27 पर अस्पताल में भर्ती मरीज का खून बदलने के लिए 4 सौ रूपये और बाहर के मरीज के लिए एक हजार 50रूपये और खून की जांचों की फीस जमा होती है। इसके अलावा हडडी विभाग के लिए प्लास्टर के लिए 250 रूपये की फीस सहित कई अन्य जांचों की फीस काउन्टर नम्बर 27 पर जमा होती है। पिछले कई महीनों से इस काउन्टर पर तैनात चार महिला संविदा कर्मचारियों और बाबू राकेश चन्द्रा ने काउन्टर पर जमा पैसा सरकारी खातों में जमा करने के बजाए अपनी जेबा में भर लिया। इसके बाद जब जांचों और उससे मिले भुगतान का मिलान किया गया तो चैकाने वाला घोटाला निकलकर सामने आ गया। सूत्रों की माने अभी ये सिर्फ जांचों में की लगभग पांच लाख का घोटाला सामने निकलकर सामने आया है। अगर यहां दूसरे मदों की भी जांच की जाये तो ये घोटाला कई लाखों का हो सकता है और कई और कर्मचारियों की गर्देनों में फंदा कस सकता है।
जिला अस्पताल के सीएमएम इसे घोटाला ना मानकर गलती मान रहे है और घोटाले के पैसों की रिकवरी किये जाने की भी बात कर रहे है। अगस मायनों में सीएमएस पूरे मामले को रफा दफा करने में जुटे हुए है क्योंकि जाचं और कार्यवाही के घेरे में खुद सीएमएस भी फंस सकते हैं। पांच लाख के घोटाले की खबर अब जिला प्रशासन तक पहंुच चुकी है जिसे जिला प्रशासन ने एक गंभीर मामला माना हैं। जिला प्रशासन ने पूरे मामले में जांच के बाद कड़ी कार्यवाही के आदेश जारी कर दिये है। जिला प्रशासन का कहना है कि घोटाले में दोषी किसी भी कर्मचारी को बख्शा नही जायेगा। लेकिन अस्पताल के तैनात बाबू और संविदा कर्मचारियों ने गरीब मरीजों के पैसों में ही घोटाला कर दिया। खास बात ये है कि इस घोटाले में शामिल कर्मचारी और बाबू अभी भी कई घोटालों को अंजाम दे रहे है। ऐसे में जरूरत है इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की वरना ऐसे कर्मचारी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी से उतार देंगे।