करनाल – हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस-2018 के दृष्टिगत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में एकल उपयोग में आने वाली प्लास्टिक की पानी की बोतलों पर प्रतिबन्ध लगाने का निर्णय लिया था l
हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा इस सम्बंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों ,रजिस्ट्रारों तथा सभी बोर्डों व निगमों के प्रबन्ध निदेशकों व मुख्य प्रशासकों को एक परिपत्र भी जारी किया गया था । इस परिपत्र में कहा गया था कि सभी सरकारी विभाग, बोर्ड, निगम, स्वायत्त इकाइयां सरकारी कार्यालयों में प्लास्टिक की पानी की बोतलों के उपयोग को छोड़ देंगे और सुरक्षित पेयजल के लिए वैकल्पिक प्रबन्ध करेंगे ताकि प्लास्टिक का कचरा सृजित न हो। लेकिन कहीं भी बंद हुआ नज़र नहीं आया, बल्कि परिपत्र जारी की गई सभी जगह पर इस्तेमाल किया जा रहा हैं l क्योंकि इसके लिए कोई जुर्माना या सख्ती तय नहीं की गई है l
कुछ समय पहले सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया था जिनमे अलग अलग तरह का पैमाना निर्धारित किया हुआ है जिसे खुद निगम के अधिकारी ही कह रहे हैं कि ये हमारी समझ से बाहर है l अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष के शुरू में केवल 27 के करीब पॉलिथीन के थोक विक्रेताओं के चालान काटे गए थे l करनाल में प्रतिदिन लगभग 40 टन कचरा इकट्ठा हो जाता है जिसमे प्लास्टिक से बनी चीज़ों की संख्या अधिक है l इस हिसाब से देखा जाए तो इस गति से तो पर्यावरण को लेकर कोई सुधार होने की संभावना दूर दूर तक नहीं नज़र आती l इसके लिए बहुत सख्ती की जरूरत है l हालाँकि करनाल को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए स्वच्छता पर काम हो रहा है लेकिन बावजूद इसके जगह जगह कूड़े के ढेर , कूड़ेदानों के बाहर कूड़ा और उसमें पॉलिथीन और प्लास्टिक के सामान की संख्या ज्यादा होना इस बात को साफ तौर पर दर्शाता है कि केवल कागजी कामों पर जोर है l जबकि पर्यावरण विशेषज्ञ इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की बात कर रहे हैं कि इसके इस्तेमाल से पर्यावरण का भारी नुकसान है और धरती ऐसे कचरे को नहीं खपा सक रही है l यानि पॉलिथीन समेत प्लास्टिक से बनी यूस एंड थ्रो वाली इस्तेमाल की चीज़े जिनमे प्लास्टिक के बोतल , बर्तन, पैकिंग का सामान सब पूर्णतया सख्ती के साथ बैन होना चाहिए l इस सच्चाई को जानने वाले लोग कह रहे हैं कि पड़ौसी सरकारों से कुछ सीखते हुए हमारी सरकार को भी इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला जल्दी लेना चाहिए l
उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण को बचाने लिए अहम कदम उठाते हुए प्रदेश में प्लास्टिक पर 15 जुलाई से प्रतिबंध लगा दिया है l हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि 15 जुलाई से यूपी में प्लास्टिक बेचने या इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माना लगेगा या फिर सजा का प्रावधान किया गया है l माना जा रहा है कि प्रदेश की योगी सरकार ने यह फैसला पर्यावरण को बचाने और प्रदेश में अंधाधुंध हो रहे प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए लिया है प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से उनके कार्यालय के ट्विटर अकाउंट के जरिये घोषणा की गई है ‘हमने 15 जुलाई से पूरे प्रदेश में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है मैं आह्वान करता हूं कि 15 जुलाई के बाद प्लास्टिक के कप, गिलास, और पॉलीथीन का इस्तेमाल किसी भी स्तर पर न हो l इसमें आप सभी की सहभागिता जरूरी होगी’ l योगी आदित्यनाथ का कहना है कि पॉलीथीन प्रदूषण का कारक है l इसलिए इस पर रोक लगाना जरूरी है l
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने भी 18 मार्च को मराठी नववर्ष ‘गुड़ी पर्व’ से कुछ प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था l महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। कारोबारियों ने सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन इस पर सुनवाई फिलहाल स्थगित कर दी गई है। सरकार ने प्लास्टिक बैन पर पिछले साल अधिसूचना जारी की थी। कानून का उल्लंघन करने वालों को अधिकतम 25 हजार रुपए जुर्माना देने के अलावा जेल भी जाना पड़ सकता है।
राजस्थान सरकार ने प्लास्टिक पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने का फैसला पॉलीथीन के उपयोग को लेकर राज्य में 1 अगस्त 2010 से प्लास्टिक कैरी बैग्स , पॉलीथीन के विनिर्माण, भंडारण , आयात विक्रय तथा परिवहन पर प्रतिबंध किया गया है जिसके तहत कोई भी दुकानदार, थोक या फुटकर विक्रेता, फेरी या रेहड़ी वाला कोई भी मॉल प्रदान के लिए प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग नहीं करेगा l इसके लिए उसे 1 लाख रूपये का जुर्माना ,5 साल की सजा , 5 हज़ार रूपये प्रतिदिन का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है l