रिपोर्ट-कौशल/मंडी – लोकसभा चुनाव की घोषणाओं के पश्चात हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण दिन प्रतिदिन रोचक बनते जा रहे है। भले ही भाजपा ने यहां सांसद रामस्वरूप शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम शर्मा के पोते आश्रय शर्मा पर अपना दांव खेलने जा रही है। भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम शर्मा व उनके पोते आश्रय शर्मा की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दिल्ली रवाना हुए। दिल्ली में दोनों धुरंधर मिले तो वर्षों से चली आ रही राजनीतिक दुशमनी को भुला कर गलबहियां दी और कांग्रेस पार्टी के लिए एक साथ कार्य करने का संकल्प भी लिया। पूर्व मुयमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम शर्मा की गलबाहियां भाजपा के लिए चुनौती का कारण बन गई है। खासकर सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लिए इन दो धुरंधरों का एक होना खतरे के संकेत है। चुनावों से पहले दोनों धुरंधरों के बीच की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम की इस मुलाकात से प्रदेश के सियासी माहौल में एक नई हलचल पैदा हो गई है। बताया जा रहा है कि दोनों ने लोकसभा चुनावों को लेकर चर्चा की। चर्चा में निर्णय लिया कि चुनावों में पूरी एकजुटता के साथ काम करते हुए पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में काम किया जाएगा और जीत सुनिश्चित की जाएगी। हालांकि सुखराम व उनके पोते का कांग्रेस में मिलना कई कांग्रेसियों को गले नहीं उतर रहा है। लेकिन ज्यादातर कांग्रेसी इस मिलन को कांग्रेस पार्टी की एक बड़ी ताकत मान रहे है। लंबे समय के पश्चात हुई दो धुरंधरों की मुलाकात से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है और प्रदेश मुयमंत्री जयराम ठाकुर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अब देखना यह है कि वीरभद्र सिंह व सुाराम की गलबाहियां कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में संजीवनी देती है या फिर चुनावों तक सिमीत है,क्या मंडी से कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा को जीत दिलाने में पूर्व मुयमंत्री कितनी महेनत करते है। इस पर चर्चा का बाजार गर्म है। बता दें कि पंडित सुखराम ने 2003 में अपना आखिरी विधानसभा का चुनाव लड़ा। फिर 2007 में सक्रिय राजनीति से सन्यास लेेकर अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अनिल शर्मा को सौंप दी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान सुखराम का सारा परिवार भाजपा में शामिल हो गया। कारण बताया गया कांग्रेस पार्टी में हुआ अपमान। हालांकि भाजपा की सदस्यता सिर्फ अनिल शर्मा ने ही ली जबकि बाकी परिवार पार्टी के लिए काम करता रहा। पंडित सुखराम ने मंडी जिला की कुछ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार भी किया और वोट भी मांगे। उन्हें 10 में से 9 सीटों पर भाजपा को जीत मिली और यहां से कांग्रेस का सफाया हो गया। अनिल शर्मा भारी मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने टिकट के लिए एड़ी.चोटी का जोर लगा दिया। लेकिन भाजपा ने मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया। इससे खफा होकर पंडित सुखराम अब दोबारा से अपने पोते संग कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। अब इनका पोता इनकी मंडी संसदीय क्षेत्र की राजनैतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतरने वाला है। पिता भाजपा में और दादा क्या अपने पोते को जीत का सेहरा पहनाने में कामयाब होगा । इस पर चर्चा का बाजार गर्म है।