करनाल – करनाल के दादुपुर गांव में जुंडला अनाज मंडी के एक आढ़ती द्वारा मंडी अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी खरीद केंद्र स्थापित कर किसानों की गेहूं खरीद का मामला सामने आया है । गांव की पंचायत ने आढ़ती के खिलाफ खरीद केंद्र में तोल में गड़बड़ी और आपदा प्रबंधन एक्ट की अवहेलना की उपायुक्त से लिखित शिकायत भी की गई है। मामला संज्ञान में आने के बाद एसडीएम द्वारा निसिंग के खंड विकास अधिकारी सुमित चौधरी को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया । खण्ड अधिकारी ने प्राप्त तथ्यों और सुबूतों के आधार पर ये पाया कि गैर कानूनी तरीके से खरीद केंद्र बनाकर बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही थी। अपनी रिपोर्ट में खण्ड अधिकारी सुमित चौधरी ने उक्त आढ़ती देवी लाल के खिलाफ थाना सदर में एफआईआर दर्ज करने और उसका लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है। लेकिन सोचनीय विषय है कि तीन दिन बाद भी इस मामले में न तो उक्त आढ़ती के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई गई और न ही आढ़ती को बारदाना देने व उसकी गेहूं खरीदने वाले जुंडला अनाज मंडी के सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई। दादुपर के सोहन लाल ने आरोप लगाया कि बिना मंडी अधिकारियों की मिलीभगत के खरीद केंद्र स्थापित नही किया जा सकता है। उपायुक्त को दी अपनी शिकायत में सोहनलाल ने जुंडला मंडी के सुपरवाइजर धर्मबीर सिंह व इंस्पेक्टर नवीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि गांव की चौपाल में स्थापित इस खरीद केंद्र में आढ़ती न केवल बड़ी संख्या में अवैध परचेज कर रहा था बल्कि यहां सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाई जा रही थी। उन्होंने मंडी सुपरवाइजर धर्मबीर की एक ऑडियो भी जारी की जिसमे वह अपनी जिम्मेदारी को नकारते हुए कह रहा है कि ये काम तो सारी दुनिया कर रही है , अगर सरकार का घाटा हो रहा है तो होने दो हम क्या करें।
बड़ा सवाल ये भी है उक्त आढ़ती देवी लाल को किसने गांव में खरीद केंद्र स्थापित करने की अनुमति दी और किसने उसे बारदाना उपलब्ध कराया। जबकि नियमानुसार मार्किट कमेटी की अनुमति के बिना अपनी मर्जी से कहीं भी अनाज की खरीद नही की जा सकती। इस दौरान आढ़ती द्वारा जो गेहूं की खरीद की गई वह कहां गई , अगर वह जुंडला मंडी में गई तो किसने उक्त गेहूं को सरकारी रिकार्ड में दर्ज किया। ये सब सवालों का जवाब तब तक नही मिलेगा जब तक इसकी गहनता से जांच नही की जाएगी।
इस बारे में जब मंडी सचिव ओमप्रकाश जांगड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उक्त खरीद केंद्र स्वयं आढ़ती ने बना लिया था जिसने लिखित माफीनामा देकर भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इतने दिनों तक उक्त आढ़ती को बारदाना व उसकी गेहूं को सरकारी रिकार्ड में दर्ज कैसे और क्यों किया जाता रहा ।
गौरतलब है कि जुंडला अनाज मंडी के सुरवाइजर धर्मबीर की कार्यशैली लंबे समय से संदेह के घेरे में रही है और वह पहले भी अनियमितताओं के चलते सस्पेंड किया जा चुका है ।