करनाल – फर्जी खरीद केंद्र मामले में आरोपी आढ़ती के खिलाफ मामला दर्ज 

0
190

करनाल – करनाल के दादुपुर गांव में जुंडला अनाज मंडी के एक आढ़ती द्वारा मंडी अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी खरीद केंद्र स्थापित करने के मामले में प्रशासन द्वारा बड़ी कार्यवाही की गई है। खण्ड विकास अधिकारी निसिंग की रिपोर्ट के आधार पर थाना सदर पुलिस ने आरोपी आढ़ती देवी लाल के खिलाफ मामला दर्ज कर  दिया है जबकि मार्किट कमेटी द्वारा उसका लाइसेंस एक सप्ताह के लिए रद्द कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि आरोपी द्वारा गांव दादुपर में बिना अनुमति के फर्जी खरीद केंद्र बनाकर बड़ी मात्रा में किसानों की गेहूं खरीद की गई थी । इस दौरान न तो वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था और न ही मापतोल के नियमों का। इसको लेकर गांव की पंचायत ने आढ़ती के खिलाफ खरीद केंद्र में मापतोल में गड़बड़ी और आपदा प्रबंधन एक्ट की अवहेलना की उपायुक्त से लिखित शिकायत भी की है । मामला संज्ञान में आने के बाद एसडीएम द्वारा निसिंग के खंड विकास अधिकारी सुमित चौधरी को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया । खण्ड अधिकारी ने  प्राप्त तथ्यों और सुबूतों के आधार पर ये पाया कि गैर कानूनी तरीके से खरीद केंद्र बनाकर बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही थी। अपनी रिपोर्ट में खण्ड अधिकारी सुमित चौधरी ने उक्त आढ़ती देवी लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उसका लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है। लेकिन सोचनीय विषय है कि सरकारी अधिकारी की रिपोर्ट के बावजूद प्रशासन को उक्त आढ़ती के खिलाफ कार्यवाही करने में चार दिन लग गए।
आढ़ती के खिलाफ एफआईआर होने के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि आढ़ती को बारदाना देने व उसकी गेहूं को सरकारी रिकार्ड में दर्ज करने वाले जुंडला अनाज मंडी के सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन क्यों नही लिया गया । दादुपर गांव के सोहन लाल ने आरोप लगाया कि बिना मंडी अधिकारियों की मिलीभगत के खरीद केंद्र स्थापित नही किया जा सकता है। उपायुक्त को दी अपनी शिकायत में सोहनलाल ने जुंडला मंडी के सुपरवाइजर धर्मबीर सिंह व इंस्पेक्टर नवीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।  उन्होंने मंडी सुपरवाइजर धर्मबीर  की एक ऑडियो भी जारी की है जिसमे वह अपनी जिम्मेदारी को नकारते हुए कह रहा है कि ये काम तो सारी दुनिया कर रही है , अगर सरकार का घाटा हो रहा है तो होने दो हम क्या करें।

नियमानुसार मार्किट कमेटी की अनुमति के बिना अपनी मर्जी से कहीं भी अनाज की खरीद नही की जा सकती। इस दौरान आढ़ती द्वारा जो गेहूं की खरीद की गई वह कहां गई , अगर वह जुंडला मंडी में गई तो किसने उक्त गेहूं को सरकारी रिकार्ड में दर्ज किया। ये सब सवालों का जवाब तब तक नही मिलेगा जब तक इसकी गहनता से जांच नही की जाएगी।

इस बारे में जब मंडी सचिव ओमप्रकाश जांगड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उक्त खरीद केंद्र स्वयं आढ़ती ने बना लिया था जिसका लाइसेंस एक सप्ताह के लिए रद्द कर दिया गया है । लेकिन इस सारे घपले में मार्किट कमेटी के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के सवाल को वे टाल गए। गौरतलब है कि जुंडला अनाज मंडी के सुरवाइजर धर्मबीर की कार्यशैली लंबे समय से संदेह के घेरे में रही है और वह पहले भी अनियमितताओं के चलते सस्पेंड किया जा चुका है ।