रिपोर्ट – कान्ता पाल /नैनीताल – सरोवर नगरी नैनीताल की बुनियाद माने जाने वाले बलिया नाले की पहाड़ियों में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों को 200 मीटर लंबी और 5 मीटर गहरी भूमिका झील यानी (Water sheet body ) मिली है जिससे नैनी झील के गिरते जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी साथ ही भूस्खलन को भी रोका जा सकेगा। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीश चंद्र सिंह का कहना है कि आने वाले समय में इस भूमिगत झील के पानी को लिफ्ट कर नैनी झील में छोड़ा जाएगा जिससे झील के गिरते जल स्तर को नियंत्रित करने करने के साथ ही बलिया नाले में हो रहे भूस्खलन को रोकने में मदद मिलेगी क्योंकि अब तक बलिया नाला क्षेत्र में हो रहे पानी के रिसाव के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था जिस वजह से हर साल बलिया नाले का बड़ा हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ रहा था अब वैज्ञानिकों को मिली सफलता के बाद बलियाना लेकर स्थाई ट्रीटमेंट का रास्ता साफ हो गया है।
आपको बताते चलें कि नैनीताल के बलिया नाला क्षेत्र में 1980 से लगातार भूस्खलन हो रहा है जिस वजह से क्षेत्र का करीब 50 फीट का क्षेत्र भूस्खलन की चपेट में आ गया इस वजह से कई घरों को खाली करवा कर अन्यत्र शिफ्ट करना पड़ा था। स्थानीय लोग अब तक कयास लगा रहे थे कि नैनी झील से रिसने वाला पानी बलिया नाला क्षेत्र में जाता है जिस वजह से क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है, लेकिन आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा सर्वे में पता चला कि नैनी झील से पानी का रिसाव नहीं हो रहा है और जो भूमिगत झील बनी है उसी झील का पानी बलिया नाली में रिस रहा है।