इंद्री -बाढ़ से प्रभावित गांवों में जनजीवन हुआ अस्त व्यस्त, प्रशासन की तरफ से हरसम्भव प्रयास जारी

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रिपोर्ट -मैनपाल कश्यप/इंद्री – एक तरफ हल्के के दर्जनों गांवों में आई बाढ़ का पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है, गांवों की गलियों, घरों व खेतों में पानी ही पानी खड़ा नजर आ रहा है। और दूसरी तरफ इस आपदा में लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन करनाल और एनडीआरएफ की टीमें मेघदूत बनकर आगे आ रही हैं।  बुर्जुगों का कहना है कि इससे पहले 1978 में ऐसा पानी आया था लेकिन अबकी बार का यह पानी उससे भी कहीं ज्यादा है। हज़ारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। पशुओं  के लिए चारा पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। सडक़ें पूरी तरह से टूट चुकी है। सेना की मदद से लोगों को राशन मुहैया करवाया जा रहा है। उपमंडल के गांवों गढ़पुर टापू व मूसेपुर के तटबंधों के टूटने से स्थिति ज्यादा खराब हो गई। यमुना का पानी खेतों व घरों में घुस गया जिससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। इस पानी में बचाव का एकमात्र साधन किसान का ट्रैक्टर साबित हो रहा है जिसके माध्यम से पानी में से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाया जा रहा है। गांव ब्याना के किसानों का कहना है कि खेतों में खड़े चारे और तूड़ी के कूप भी पानी की मार से बह गए। गांववालों का कहना है कि इस आपदा में सबसे ज्यादा मार पशुओं पर गिरी है क्योंकि उन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाने में और चारा उपलब्ध करवाने में भारी दिक्कत आ रही है l  इस आपदा में लोग मदद के लिए भी आगे आ रहे हैं । ब्याना गांव के लोग निकटवर्ती ईंट के भट्टों पर काम करने वाले मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कर रहे हैं ।

गांव वालों का कहना है कि बाढ़ के पानी के कारण लकड़ी गीली हो जाने से लोगों के लिए खाना बनाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में लोगों के लिए सिलेंडर की व्यवस्था करने में भी मुश्किल आ रही है जिस कारण लोगों को खाने पीने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है l  मूसेपर गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की ओर से पानी आने की कोई अग्रिम सूचना नहीं दी गई थी जिसके चलते लोग अपना प्रबंध पहले से नही कर पाए। गांव वालों ने मजबूरन पानी आने पर अपना सामान पड़ोसियों की सहायता से मकानों की छतों पर पहुंचाया । कई मकानों में पानी आने से दरारें पड़ गई हैं ,उन्हें दूसरों के घरों में रहना पड़ रहा है। गांवों में प्रशासन की तरफ से लोगों के सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए मुनादी भी कराई जा रही है l यमुना नदी का पानी स्कूलों में भी घुस गया जिसके चलते गांव कलसौरा के सरकारी स्कूल में पानी तीन से चार फुट तक खड़ा होने से स्कूल की बिल्डिग़ व सामान को नुकसान पंहुचा है।

इन्द्री के एसडीएम अशोक कुमार ने बताया कि बाढ़ के पानी से जो दो गांवों के तटबंधों में दरार आई थी उसको दुरूस्त किया जा रहा है। यदि और बारिश नहीं आई तो कल तक इनको ठीक कर दिया जाएगा। प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। लोगों को सुविधाएं पहुंचाई जा रही है। इंद्री के गांव डेरा हलवाना की रहने वाली शीतल गर्भवती है। गुरुवार को अचानक से तबीयत बिगड़ी तो एसडीएम अशोक कुमार से संपर्क किया। जानकारी मिलते ही एसडीएम ने एंबुलेंस रवाना की और तत्काल शीतल को इंद्री के सबडिविजन अस्पताल पहुंचाया। इसी तरह जपती छपरा की रहने वाली आशा भी गर्भवती है। उसकी तबीयत बिगड़ी तो तत्काल जिला प्रशासन की टीम ने उसे सामान्य अस्पताल पहुंचाया।

गांव हलवाना में बाढ़ के पानी की वजह से एक मकान ढह गया। इस मकान में अनार सिंह (50) और उसकी पत्नी अनार कौर (48) घायल हो गए। यह सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को मिली तो तत्काल टीम भेजकर उन्हें इंद्री के सामान्य अस्पताल पहुंचाया गया। अब दोनों का ईलाज अस्पताल में चल रहा है।