अजमेर पुष्कर के काले जामुनो की देश में बड़ी डिमांड

0
402

किशोर सिंह / अजमेर – हिन्दुओ के सबसे बड़े तीर्थ स्थल जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर समेत आसपास के गांवों में इन दिनों जामुन की बंपर पैदावार हो रही है। यहां से हर रोज करीब 50 टन से अधिक जामुन दिल्ली और जयपुर के लिए सप्लाई किए जा रहे हैं यही वजह है की पुष्कर के काले काले जामुनो ने न सिर्फ राजस्थान बल्कि पुरे देश में धूम मच रखी है I

यु तो जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर को अपनी पहचान के लिए किसी का मोहताज नहो होना पड़ता है लेकिन इन जगत पिता की नगरी की हर बात निराली है यही वजह है की पुष्कर के काले काले जामुन भी अपने आप में पुष्कर की खुशबु को अपने अन्दर समेटे इन दिनों पुरे देश में धूम मच रखी है… मंदिरों की नगरी पुष्कर समेत आस -पास के गनाहेड़ा -मोतीसर-गोवलिया -देवनगर -बागोलाई समेत पहाड़ी तलहटी से सटे नाला गाव के बगीचों में इन दिनों  जामुन की बम्पर पैदावार से किशानो के चेहरों पर चमक सी  नजर आ रही है -पुष्कर की उपजाऊ जमीन से पैदा होने वाले  इस जामुन का सीजन महज एक महीने ही चलता है –पुष्कर के इस खास किश्म केकाले जामुन खाने में बड़े ही उम्दा होते है -तभी तो पुष्कर का यह जामुन दिल्ली -मुंबई -लखनऊ -बंगलौर -समेत कई महा नगरो में दो सो से तिन सो रूपये किलो तक बिकता है -वही यही जामुन पुष्कर में चालीस रूपये किलो में बिक रहा है –पुष्कर से रोजाना व्यापारी करीब पच्चीस से ज्यादा मिनी ट्रको में भरकर इस जामुन को महा नगरो में सप्लाई करते है –शुगर के मरीजो के लिए राम बाण दवाई का काम  करता है यह जामुन I

पुष्कर समेत आसपास के गावो के किसान के हरे भरे बगीचे इन दिनों बरसात की कमी से निरंतर घटते जल स्तर का खामियाजा भी भुगत रहे है –किसान अपने कुओ में पानी नहीं होने से टेंकरों से पानी माँगा कर अपने फलो के पेड़ो को जिन्दा रख कर कड़ी मेहनत कर अपने परिवारों का पेट पालते नजर आ रहे है -वही किशानो को अपनी कड़ी मेहनत और पसीने से पैदा की जाने वाली फसलो की  उचित कीमत भी नहीं मिल पाती है –बागवानी करने वाले पुष्कर के इन किशानो को करीब 50-60-फिट ऊपर सीढी  लगा कर एक एक जामुन को तोडना पड़ता है –पूरा परिवार अल सुबह से हीजामुन तोड़ने में लग जाता है -फिर उसे टोकरियो में  सहेज कर  भर कर व्यापारियों  को देने होता है –जामुन तोड़ने का काम भी खतरे से खाली  नहीं होता है –जरा सी चुक होते ही जामुन तोड़ने वाला दुर्घटना का शिकार  हो जाता है I

किसानो को इस  बात का भी  मलाल है की किसानो के भले के लिए सरकार भी कुछ नहीं करती है – किसान का भला करने की योजनाओ का फायदा आम किसान को नहीं मिल पाता है I