कान्तापाल/ नैनीताल – नैनीताल राज्य अतिथि गृह के शैले हाल में आल इण्डिया वीमेन काॅन्फेस द्वारा नैनीझील को कैसे बचाए सेमिनार आयोजित किया गया सेमिनार में कुमाॅउ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सहित नैनीझील पर शोधकर्ता एवं नगर के विद्वानो ने प्रतिभाग किया। नैनीझील के अस्तित्व पर संकट और नैनीझील को बचाने को लेकर विद्वानो ने अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए लोगो को जागरूक करते हुए नैनीझील के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए योगदान देने को कहा। भू शोधकर्ता प्रो बी.एस. कोटिलया ने कहा नैनीझील को बचाने के लिए सुखाताल की झील को बचाना आवश्यक है। क्योकि यही सुखाताल की झील नैनीझील को रिचार्ज करती है। जिसमें हजारो टन मलुवा समा जाने के कारण सुखाताल के करैक्स बंद हो गए है जिसके लिए सुखाताल झील से मलुवा निकाला जाना आवश्यक है। वही प्रो. कोटिलया ने कहा नैनीझील को रिचार्ज करने वाले सभी स्त्रोत लगभग समाप्त हो चुके हैं । नैनीझील में बोल्डर होने की वजह से मशीनो द्वारा मिट्टी नही निकाली जा सकती है जो लगभग 140 वर्ष पुरानी है। नैनीझील के अस्तित्व को बचाने के लिए स्रोत्रो को बचाए रखना आवश्यक है।
वही कुमाॅउ विश्वविद्यालय के कुलपति डी.के. नौरियाल ने कहा इस तरह के सेमिनार से लोगो में जागरूकता आएगी जो नैनीझील को बचाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होने कहा नैनीझील ही नही वरन् सभी झीलो को बचाने के लिए पहल की जानी चाहिए जिसकी शुरूवाद नैनीझील से ही की जाए। कुलपति डी.के. नैरियाल ने कहा कुमाॅउ विश्वविद्यालय ने इसमें बहुत रिसर्च की है जिसकी रिपोर्ट से सरकार को भी अवगत कराया गया है बहुत सारे प्रोजेक्टो पर कुमाॅउ विश्वविद्यालय एवं आईआईटी रूड़की के साझा सहयोग से काम किया जा रहा है ताकि झीलों के अस्तित्व को बचाया जा सके।