रिपोर्ट -पूजा/ कुल्लू -तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास मंत्री, डॉ. मारकंडा ने आज कृषि विभाग द्वारा आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की तथा किसानों को प्राकृतिक कृषि की ओर ध्यान देने की की बात कही। उन्होंने बताया कि रासायनिक कृषि से किसान की कृषि की लागत बढ़ती वह ऋण के बोझ से दब जाता है तथा उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है जिससे कि कई बीमारियों के खतरे बढ़ रहे हैं। जैविक कृषि में भी उत्पादन की लागत बढ़ती है। परन्तु प्राकृतिक खेती में कृषक की उत्पादन लागत शून्य रहती है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है।साथ ही प्राकृतिक कृषि उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित एवं जहरमुक्त होते हैं तथा इसमें देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है ।डॉ मारकंडा ने जानकारी दी कि प्राकृतिक कृषि के लिए हिमाचल सरकार ने कई तरह के अनुदान देने का प्रावधान है देसी गाय खरीदने, गौशाला बनाने, जीवामृत के लिये ड्रम आदि पर अनुदान दिया जाता है। सरकार का प्रयास है कि हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2022 तक प्रथम प्राकृतिक कृषि राज्य के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने कृषकों लहसुन व सब्जियों के बीज की किट प्रदान कर बीज वितरण का भी आरम्भ किया। लाहौल में प्रति परिवार एक बीज किट कृषि विभाग द्वारा दी जाएगी। विषय विशेषज्ञ डॉ. राजेंदर ठाकुर ने प्राकृतिक कृषि की विधि के बारे में जानकारी दी, तथा परियोजना निदेशक आतमा डॉ एस डी शर्मा ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा ज़िला कृषि अधिकारी ने डा मारकंडा सहित सभी उपस्थित अधिकारियों व किसानों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर जनजातीय सलाहकार समिति के सदस्य शमशेर, नवांग उपासक, पुष्पा शर्मा ज़िला परिषद सदस्य तेनज़िंग बीडीसी अध्यक्षा समिता सहित कई विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।