रिपोर्ट – कान्ता पाल/नैनीताल- नैनीताल हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास भत्ता व अन्य सुविधाओं में हुए खर्चे को वसूल करने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से यह भी अनुरोध किया है कि यदि मामले में आरक्षित अवधि के दौरान राज्य सरकार किसी अधिनियम को पारित करती है तो अदालत के समक्ष इस मामले का फिर से उल्लेख करेंने की अनुमति प्रदान की जाए। जिसे स्वीकार कर लिया। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि अगर सरकार पूर्वमुख्यमंत्रियो को लाभ पहुचाने के मकसद से अगर राज्य सरकार विधान सभा सत्र में विधयेक पास करती है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
मामले के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने राज्य सरकार के उस ऑर्डिनेंस को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी जिसमें राज्य सरकार ने 5 सितंबर 2019 को ऑर्डिनेंस लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया किराए को माफ कर दिया था । इससे पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा, और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को घर खाली कर ब्याज समेत बाजार मूल्य से किराया भरने को कहा था । पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर किया है ।