शहादत हज़रत अली अ. स. के शोक में डूबा शिया समुदाय

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आसिफ रिजवी /मऊ  – ऐतिहासिक जुलूसे गम अपनी परंपरा के अनुसार गुरुवार की रात मनाया
गया। जिसमें  सोजख्वानी इनायत हुसैन ने गम को इस अंदाज़ में बयां किया कि
सब की आँखे नम हो गयी | सोज़खानी के बाद फौरन बाद घोसी से आए मौलाना शफ़क़त तक़ी
साहब ने तक़रीर पेश की । जिसमे हज़रत अली के जीवन पर प्रकाश डालते हुए
उनकी सादगी भरी जिंदगी पर अपना बयान किया और उनकी तरह जीवन बिताने के लिए
जोर दिया। और मौला अली अ. स. की शहादत पेश करते हुए कहा कि मौला अली अ.
स. को इब्ने मुलजिम ने मस्जिद में सजदे की हालत में तलवार मारी | मौला
अली अ. स. मस्जिद में जख्मी हालत में पड़े थे जब शोर हुआ कि मौला अली अ.
स. को इब्ने मुलजिम ने तलवार मारी तो उनके बेटे इमामे हसन और इमामे हुसैन
मस्जिद पहुचे और मौला अली अ. स. को  जख्मी हालत में घर लाए दो दिन तड़पते
रहे | इक्कीस रमजान को मौला अ. स. का देहांत हो गया | ये सुनकर कूफ़े में
कोहराम बरपा हो गया | इक्कीस रमजान को उनका जनाज़ा उठा | मौलाना शफ़क़त तक़ी
की तक़रीर सुन सबकी आँखे नम हो गयी |

तत्पश्चात शबीहे ताबूत व आलम मस्जिद मालिक ताहिर हुसैन से उठकर
बाहर आया जिसमें अंजुमन बाबुल इल्म जाफ़रिया ने नौहाख्वानी व सीनाजनी पेश
की फिर उसके बाद बाहर से आई अंजुमन सज्जादिया कोपागंज ने अपने मकसुस
अंदाज़ में नौहाख्वानी व सीनाजनी किया |  जुलूस अपने कदीमी रास्तों से
निकलकर मलिक ताहिर हुसैन के रौज़े पे गस्त किया और फिर मलिक ताहिर हुसैन
के मस्जिद पर समाप्त हुआ| इब्ने मुलजिम ने हैदर को मारा रोजेदारों कयामत के दिन है|कार्यक्रम में मुख्य रुप से तजियेदार सैय्यद अली अंसर,
इरफान अली , मकसूद अहमद, हसनैन, मंसूर, अली, आमान, आयान , मेहदी, ऑन ,
फ़ैज़ी, मीजान, रिज़वी रजा, जावेद , परवेज़ आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित
रहे। तमाम अजादारों की आँखों से आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
खामोश है तो दिन की पहचान अली है
गर बोले तो लगता है कुरआन अली है
कुरान तो देता है हमे दावते इमा
इमान ये कहता है मेरी जान अली है।