करनाल – किसान खेतों में पराली ना जलाएं बल्कि इसे बेचकर धन कमाएं : उपायुक्त

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करनाल – राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा भारत सरकार एवं हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को पंचायत भवन में आयोजित एक कार्यक्रम से उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने फसल अवशेष प्रबंधन तथा पर्यावरण सुधार संबंधी अभियान का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उपायुक्त ने टर्बो, हैप्पी सीडर व आरएमबी प्लो का प्रदर्शन करने वाली जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह वैन जिला के सभी 435 गांवो में जाकर किसानो को पराली ना जलाने और इससे धन कमाने बारे जागरूक करेगी अर्थात किसान खेतो से निकलने वाली पराली के स्ट्रा बेलर मशीन से बंडल बनाकर उसे बेच सकते हैं, जो गत्ता फैक्टरी, एनर्जी पावर प्लांट और ईंट भट्टो पर जलाने के काम आते हैं। कार्यक्रम में नाबार्ड के डी.डी.एम. सुशील कुमार, डी.डी.ए. आदित्य प्रताप डबास, डी.डी.पी.ओ. कुलभूषण बसंल, कृषि वैज्ञानिक समर सिंह, जिला बागवानी अधिकारी मदन लाल, जे.बी.एन.आर. एजूकेशनल एंड चैरीटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष विक्रम आहूजा तथा किसानों को जागरूक करने वाले एक अन्य एन.जी.ओ. जन कल्याण समीति के सदस्य, कस्टम हायरिंग सेंटर से जुड़े प्रगतिशील किसान तथा सैल्फ हैल्प ग्रुप की महिलाएं भी उपस्थित थी।
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि कार्यक्रम का विषय बड़ा अहम और किसान भाईयों के लिए है। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष जलाने की समस्या का समाधान केवल कानून बनाकर और उससे किसानो के चालान करके ही नहीं किया जा सकता है बल्कि इसको हल करने के लिए किसानों को परिस्थितियों बारे समझना पड़ेगा और उन्हे इस समस्या के निवारण के लिए फसल अवशेषों को जमीन में ही मिला देने वाले आधुनिक कृषि यंत्रो अथवा मशीनो का प्रयोग करना पड़ेगा। किसान फसल अवशेष प्रबंधन में पराली एक बेहतर विकल्प के तहत बण्डल बनाएं और इसे बेचकर धन कमाएं।
उपायुक्त ने नाबार्ड के अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस अभियान के माध्यम से जिले के किसानों में फसल अवशेषों के खेतों में ही उचित प्रबंधन के बारे में तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकेगी, क्योंकि अभियान में शामिल जागरूकता वैन में रखी गई कृषि मशीनो के प्रयोग बारे किसानो को  प्रशिक्षित किया जाएगा। इन विकल्पों को लेकर आग लगाने से होने वाले भूमि उर्वरकता तथा पर्यावरण संबंधी नुकसान को कम करने में तो मदद मिलेगी ही और साथ ही किसानों को इन फसल अवशेषों के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इन कार्यक्रमों में किसानों को सही मात्रा में उर्वरकों तथा सिंचाई में पानी के प्रयोग आदि के बारे में भी जागरूक किया जाएगा जिससे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा। उपायुक्त ने कृषि एवं अन्य सम्बंधित विभागों को इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक भाग लेने व जागरूकता फैलाने के लिए हिदायत दी ।
नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बताया कि राज्य स्तर पर हरियाणा के 10 मुख्यत: धान उत्पादन करने वाले जिलों में नाबार्ड द्वारा 500 क्लस्टर के अंतर्गत 3500 गांव में यह कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। करनाल जिले में 60 कलस्टरों के माध्यम से सभी गांव में फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि नाबार्ड द्वारा नेशनल एडेप्टेशन फंड ऑन क्लाइमेट चेंज के अंतर्गत भारत सरकार तथा राज्य सरकार के फसल अवशेष प्रबंधन अभियान को साथ लेकर किसानों को पोस्टेर्स, पाठन सामग्री, ऑडियो-विडियो, फिल्म आधारित मोबाईल वैन के जरिये खेत में ही फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग होने वाली मशीनों का प्रदर्शन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों के माध्यम से कस्टम हायरिंग केन्द्रों को भी इस परियोजना से जोड़ा जाएगा ताकि अधिक से अधिक किसान इन केन्द्रों का लाभ ले सकें। उन्होंने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार राज्य स्तर पर जेबीएनआर से विक्रम आहुजा व अपने विशेषज्ञों एवं जिला स्तर पर जन कल्याण समिति से गुलाब मान कार्यक्रम को कॉर्डिनेट कर रहें ।
इस अवसर पर कृषि उप निदेशक आदित्य प्रताप डबास ने कृषि तथा किसान कल्याण विभाग की तरफ से किए जा रहे विभिन्न कार्यकमों के बारे में चर्चा करते हुए बताया की जिले में अब तक 120 कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना को अनुमोदित किया जा चूका है।  इन कस्टम हायरिंग केन्द्रों को इस परियोजना से जोड़ा जाएगा ताकि किसान उचित मूल्य व समय पर इनकी सेवाएं प्राप्त कर फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकें। उन्होंने आश्वासन दिया कि विभाग के सभी अधिकारी नाबार्ड के अभियान को सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे ।