पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में कुलभूषण जाधव को जल्द फांसी देने की याचिका दायर

0
150

इस्लामाबाद- पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को तत्काल फांसी दिए जाने की मांग की गई है। याचिका में अदालत से अपील की गई है कि वह सरकार को पाकिस्तान के आंतरिक कानूनों के मुताबिक जाधव मामले पर जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दे। साथ ही यह अपील भी की गई है कि अगर जाधव को मिली फांसी की सजा को बदला नहीं जाता है, तो जल्द से जल्द उनकी सजा पर अमल किया जाए। पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ की एक खबर के मुताबिक, यह याचिका मुजामिल अली नाम के एक वकील की है। मुजामिल की इस याचिका को ऐडवोकेट फारूक नाइक ने कोर्ट में दायर किया है। नाइक पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के नेता और पूर्व सेनेट अध्यक्ष हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत से यह स्पष्ट करने की अपील की है कि जाधव केस में कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई और सभी कानूनी प्रक्रियाओं पर अमल किया गया। याचिकाकर्ता ने यह साफ करने को भी कहा है कि भारत की मांगों के मुताबिक जाधव को वकील की सेवा भी उपलब्ध कराई गई थी। इस याचिका में प्रांतीय सरकार, आंतरिक एवं कानून सचिव और पाकिस्तान आर्मी ऐक्ट (PPA) 1952 के अंतर्गत गठित कोर्ट ऑफ अपील को रिस्पॉन्डेंट बनाया गया है। याचिका में जाधव की मां का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने 26 अप्रैल को PPA के सेक्शन 131 और 133 (बी) के अंतर्गत एक अपील दायर की थी।

सेक्शन 131 के मुताबिक, ऐसा कोई शख्स जो कि कोर्ट मार्शल द्वारा दिए गए फैसले से संतुष्ट नहीं है और उसे लगता कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ, वह सरकार या फिर सेना प्रमुख के सामने याचिका दायर कर सकता है। सेक्शन 133 (बी) के अनुसार, मिलिटरी कोर्ट ने जिस इंसान को मौत या आजीवन कारावास की सजा सुनाई हो, वह अदालत के फैसला सुनाने के 40 दिनों के अंदर इस निर्णय के खिलाफ अपील कर सकता है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि पाकिस्तान के नागरिकों को ऐसे लोगों से बदला लेने का अधिकार है जो उनके देश के खिलाफ साजिश रचते हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि दोषी पाए गए आतंकवादी के अधिकार की तुलना में पाकिस्तानी नागरिकों का यह अधिकार कहीं ज्यादा बड़ा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि भारत की हरकतें और ICJ में उसके द्वारा दी गई दलीलें 2008 में दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करती हैं। साथ ही इन्हें वियना संधि के भी खिलाफ बताया गया है। याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पाकिस्तान वियना संधि की शर्तें मानने के लिए विवश नहीं है।