फोर्टिस अस्पताल में डेंगू से मौत मामले में हरियाणा सरकार दर्ज करवाएगी FIR

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चंडीगढ़ – ह‍रियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज ने सात साल की बच्‍ची आद्या की मौत व इलाज के लिए 16 लाख के बिल लेने के मामले में गुरुगाम के फोर्टिस अस्पताल को दोषी करार दिया है। विज ने कहा कि अस्‍पताल ने बच्‍ची के इलाज में भारी लापरवाही बरती और यह मर्डर की तरह है। 5 दिन अस्पताल में भर्ती रही इस बच्ची को आखिरकार बचाया नहीं जा सका। इलाज के लिए अस्पताल ने करीब 16 लाख रुपए वसूले थे। इसके बाद हरियाणा सरकार ने जांच के आदेश दिए थे और बुधवार को जांच रिपोर्ट में अस्‍पताल को दोषी पाया गया है। इसकी जानकारी चंडीगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने दी। उन्होंने कहा कि इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।

मंत्री ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल ने बच्‍ची के इलाज में भारी लापरवाही की और भारी भरकम बिल लिया। इसको लेकर सख्त अस्‍पताल पर कड़ा एक्शन होगा। पूरे मामले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी ने की l  कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, डेथ के कारण लामा प्रोटाकाल के अनुसार गलत थे। अस्‍पताल द्वारा बच्‍ची से वेंटीलेटर भी वापस लिया गया। इसके अलावा कई सेवाएं भी वापिस ले ली गई और इसी कारण बच्ची की मौत हुई।

विज ने कहा, बच्‍ची काे जिस एंबुलेंस में ले जाया गया उसमें कोई भी सुविधा नहीं थी। हम अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने जा रहे हैं। अनिल विज ने कहा, ‘इसको आसान भाषा में मर्डर कहा जा सकता है।’ उन्‍होंने कहा कि परिजनों की शिकायत कमेटी के पास आ गई है कि इसलिए हम मुकदमा दर्ज कराएंगे। विज ने कहा, डेंगू की बीमारी के बारे में अस्‍पताल ने सीएमओ भी जानकारी नहीं दी, जो कि आवश्‍यक होता है। इसके लिए एक माह से छह महीने की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।विज ने कहा कि अस्पताल ने बच्‍ची के अभिभावकों से ओवर चार्जिंग की है। इलाज के दौरान आइएमए के नियम के खिलाफ चार्जिंग की गई। बेहद महंगी दवाइयां दी गईं। प्लेटलेट्स के लिए भी ओवरचार्जिंग की गई। 1700 से 2000 रुपये तक प्लेटलेट्स के चार्ज किए गए। इनके ब्लड बैंक का लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस दे दिया गया है। लाइसेंस जल्‍द ही उसे कैंसिल किया जाएगा। उन्‍होेंने कहा कि जांच कमेटी के अनुसार डाॅक्‍टर बच्‍ची को न्यूरोपेनुम इंजेक्शन लगा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और महंगे इंजेक्‍शन व दवाएं दी गईं। विज ने कहा कि अस्‍पताल को हुडा से भूमि लेने के कारण मरीज के इलाज के बिल में छूट देनी चाहिए थी, लेकिन वह भी नहीं दिया। ऐसे में अस्‍पताल के लिए दी गई जमीन की लीज कैंसिल करने की सिफारिश भी की जाएगी।