कौशल/ मनाली – राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल के तीसरे दिन मनुरंगशाला में मनाली के विभिन्न महिला मंडलों ने पारंपारिक वेशभूषा पर कैटवॉक किया। मनुरंगशाला पर हुई कुल्लवी परिधानों की प्रतियोगिता में भाग ले रही महिलाओं की वेशभूषा क ो देख थोड़ी देर के लिए आधूनिक फैशन थम सा गया। मनुरंगशाला में जैसे ही महिलाएं पारंपारिक परिधानों और पौराणिक आभूषणों के साथ मंच पर उतरी तो मनुरंगशाला के पंडाल पर बैठे हजारों दर्शक दंग रह गए और कहने लगे कि मनाली पर मुंबईया खुमार चढ़ गया है।
भले ही महिलाओं का कदमताल रैंप पर मुंबईया था लेकिन दर्शाया तो कुल्लवी संस्कृति को । कुल्लवी संस्कृति क ो दोहराने के लिए हुए रैंप में ऊझी घाटी के भुवनेश्वरी महिला मंडल जगतसुख व दुर्गा महिला मंडल मनाली गांव, महिला मंडल कोशला, मत्याणा महिला मंडल वशिष्ट, मनु महिलामंडल मनाली, महावीर महिला मंडल चचोगा, महिला मंडल छियाल, जमदग्नि महिला मंडल प्रीणी, महिला मंडल शणाग ने रैंप पर खूब जलवे बिखेरे। महिलाओं ने कुल्लवी, किन्नौरी, चंबयाली, शिमला, लाहौली, मलाणा, मंडियाली परिधानों का प्रदर्शन किया।
हिमाचली लोकगीत दोहड़ू धोए चेईए डुगे नालुए गीत की धुन पर इन महिलाओं द्वारा किया गया कैटवॉक का पहाड़ी नजारा देखने योग्य था । पारंपारिक वेशभूषा, फूल वाला पट्टू, चूड़ीदार पजामा और पूला व लाल धाठू के साथ पौराणिक आभूषणों में चंद्रहार, बालू, बाजूबंद, पंजेब, पूली जैसे आभूषण पहनकर यहंा की पारंपारिक वेशभूषा को संजोए रखने के लिए मनुरंगशाला में बैठे हजारों दर्शकों को एक संदेश भी दिया। हालांकि हर मंच पर नव युवतियों द्वारा आधूनिक रैंप का जलवा देखने को मिलता तो है लेकिन विंटर कार्निवल के दौरान महिला मंडलों, महिलाओं द्वारा कुल्लवी परिधानों पर रैंप अपने आप में एक देखने वाली बात थी। इन सभी महिला मंडलों की महिलाओं ने विभिन्न हिमाचली परिधानों पर पहाड़ी अंदाज में किए गए कैट वॉक ने विंटर कार्निवल में एक अमिट छाप छोड़ दी है। जहां यह कैटवॉक गांव में रहने वाली महिलाअेां द्वारा सज-धज कर किया गया वहीं कुछ बुजुर्ग महिलओं का कैटवॉक आकर्षण का केंद्र रहा।