हरेला एक लोकप्रिय लोक त्यौहार

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कान्तापाल/ नैनीताल – उत्तराखंड में हरेला एक लोकप्रिय लोक त्योहार है। जिसे श्रावण मास की संगरान्त (संक्रांति) को मनाया जाता है। इस त्योहार को हरियाली के आगमन,घर की सुख-समृद्धि व भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। श्रावण मास की संगरात से 9 दिन पहले अर्थात अषाढ महीने में एक टोकरी में,घर के अंदर किसी कोने में पाँच या सात अनाजों जिसमें गेहूँ,जौं,मक्का,भट्ट,सरसों,धान आदि को बोया जाता है। जिसकी प्रतिदिन पूजा कर जल चढाया जाता है। अंधेरे में  रखने के कारण इसका रंग पीला पड जाता है। दसवें  दिन श्रावण मास की संगराद को इसे काटकर सर्वप्रथम भगवान उसमें भी क्षेत्रपाल (भूमिया) देवता को ताकि धरती में कृषि उपज की अच्छी पैदावार होवे फिर घर के सदस्यों को चढाया जाता है। इस दिन घर के बडे बुजुर्ग अपने बच्चों,नाती,पोतों को हरेला पूजते हुए उनके सिर और कान में हरेला रखते हैं, साथ ही यह आशीष भी देते हैं-लाग हर्याव,लाग बगाव,यौ दिन मास भेटनै रया,जी रया,जागी रया,बची रया,स्यावेकि जै बुद्धि,शेरक जै तराण पाया द आदि।