करनाल -हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी ने आयोजित किया नाटक बिजै सिंह

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करनाल –करनाल लोकसभा के नवनिर्वाचित सासंद संजय भाटिया ने कहा कि भारतीय इतिहास में जिस तरह से देश पर लम्बे समय तक हुकुमत करने वाले मुगल सम्राट और ब्रिटिश काल का संकलन कर उसे बड़े विस्तार से संजोया गया है, उसमें देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले वीर शहीदों और धर्म की रक्षा करने वाले सिख गुरूओं को उतना स्थान नही दिया गया, जितना होना चाहिए था। उन्होंने इस तथ्य को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है कि भारत की समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी महान पुरूषों के जीवन चरित्र से कुछ प्रेरणा ले सके और भारत पुन: विश्व गुरू बन सके। सांसद संजय भाटिया रविवार सांय शहर के कल्पना चावला राजकीय मैडिकल कॉलेज के सभागार में हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित नाटक बिजै सिंह के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने इस प्रस्तुती के लिए हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के निदेशक गुरविन्द्र सिंह धमीजा तथा नाटक के किरदारों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाबी साहित्य अकादमी को प्रोत्साहित कर समूची पंजाबी बिरादरी और पंजाबी के मूर्धन्य साहित्यकारों का मान-सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि समूची मानवता को प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाले सिखों के प्रथम गुरू गुरूनानक देव जी का 550वां प्रकाश वर्ष पूरे प्रदेश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा नाटक जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना एक सराहनीय कदम है। सांसद ने इस अवसर पर नाटक में शामिल सभी कलाकार, इसके निदेशक सहरा गुरदीप सिंह तथा एंकर इंदर पाल सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
असंध के विधायक सरदार बख्शीश सिंह ने इस अवसर पर कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गौरवशाली सिख इतिहास और हरियाणा में उससे जुड़ी यादें व जगहों को गुरू गोबिंद सिंह और माता गुजर कौर के नाम से जोड़कर इतिहास को जीवंत कर दिया है। इसके लिए हरियाणा के लोग सदैव उनके आभारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि करनाल के असंध में सरकारी महाविद्यालय का नाम बाबा फतेह सिंह के नाम पर किया गया है। इसी प्रकार करनाल-कैथल रोड़ पर शहर में एंट्री की जगह पर गुरू नानक द्वार बनाया जाएगा। नाटक के संदर्भ में उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा करने वाले सिख महापुरूषों पर तैयार इस तरह के नाटकों से हम जिस अतीत को भूलते जा रहे हैं, उसे दोबारा देखने और सीखने का अवसर मिलेगा।
हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के निदेशक गुरविन्द्र सिंह ने सभागार में पधारे सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा बताया कि हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी की ओर से इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी जारी रहेंगे।
पानीपत की मेयर अवनीत कौर ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि हमे विशेषकर युवा पीढ़ी को अपने इतिहास को जानना चाहिए। उन्होंने एक अंग्रेज कवि माईकल क्लींटल के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि यदि किसी को अपना इतिहास मालूम नही, तो उसे कुछ भी मालूम नही। मेयर ने सुप्रसिद्ध पंजाबी साहित्यकार भाई वीर सिंह के साहित्य में योगदान और उनके नोवल पर तैयार नाटक बिजै सिंह की सराहना करते हुए मांग की कि इस नाटक का मंचन पानीपत में भी करवाया जाए।
वास्तव में वर्ष 1920 के आस-पास भाई वीर सिंह ने जिस नोवल की रचना की थी, उसकी सारी घटनाओं को नाटक बिजै सिंह में संजो कर इसके निदेशक सहरा गुरदीप सिंह ने अच्छा प्रयास किया। शहर वासियों को भी एक लम्बे अरसे के बाद इस तरह का अच्छा कार्यक्रम देखने को मिला। नाटक में वर्ष 1750-60 के दौर जिसमें पंजाब के अंदर मुगलो का राज था और लोग अहमद शाह अब्दाली के एक नवाब मीर मनु के जुलमो-सितम से त्रस्त थे, की प्रस्तुतिओं को कलाकारों ने सजीव ढंग से प्रस्तुत किया। लाहौर के सुबेदार मीर मनु के दीवान चुहड़ सिंह का बेटा राम लाल, जो धर्म की रक्षा के लिए सिंह बन गया था, नाटक की सारी घटनाएं उस पर केंद्रित रही। धर्म की रक्षा के लिए उस सिंह को अपनी बीबी-बच्चे के साथ अपना परिवार तक छोडऩा पड़ा और जंगलो में रहकर सुबेदार और उसके जालिमो से संघर्ष किया। मध्यांतर में सिंह मीर मनु के सिपाहियों द्वारा पकड़कर कैद कर लिया जाता है और उसे सिख धर्म छोड़कर मुस्लिम बनने के अनेक प्रलोभन दिए जाते हैं, लेकिन वह टस से मस नही होता। कुछ समय के बाद मीर मनु की भी मृत्यु हो जाती है और उसकी बेगम, सिंह की पत्नी और बेटे को विष देकर उन्हे मारने की साजिश कर उससे अपना विवाह रचा लेती है, लेकिन किसी तरह सिंह को सब कुछ मालूम हो जाने के बाद वह बेगम के चंगुल से निकल जाता है, लेकिन उसके सिपाहियों के साथ लड़ते-लड़ते वीर गति को प्राप्त हो जाता है। नाटक के अंत में मर्मस्पर्शी दृश्य के साथ उसका पटकक्षेप हो जाता है। सभी पात्रों ने अपने-अपने किरदार को बखूबी निभाया। प्रारम्भ से लेकर अंत तक एंकर आईपी सिंह दृश्य और घटनाओं को एक-दूसरे के साथ जोड़ते हुए उसकी कहानी को आगे बढ़ाते रहे। आईपी सिंह ने बताया कि नाटक बिजै सिंह के अब तक देश की राजधानी दिल्ली में विभिन्न जगहों पर 4 शो किए जा चुके हैं।