नन्दलाल /शाहजहांपुर – आज भले ही अराजक तत्व देश के साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशों में लगे हो लेकिन शाहजहांपुर में आर्डिनेंस क्लोदिंग फैक्ट्री मैदान रामलीला साम्प्रदायिक सौहार्द की अटूट मिशाल पेश कर रहा है। यहां मुस्लिम कलाकार भगवान परशुराम,विभीषण का रोल निभाता है तो ईसाई कलाकार महाराजा दशरथ और रावण पुत्र मेघनाद का पात्र निभाकर उनके आदर्शों को लोगों के सामने पेश करता है।वही सरदार शिवनाथ सिंह ऋषि मुनि के पात्र में भगवान् श्रीराम में अपनी अटूट श्रद्धा के साथ दिखाई देते है।
कलाकार का कोई धर्म नहीं होता। उसके लिए सारे मजहब एक होते हैं। शाहजहांपुर में इसकी मिसाल देखने को मिलती है। यहां आर्डिनेंस क्लोदिंग फैक्ट्री के मैदान में जब रामलीला का मंच सजता है तो धर्म बाधा नहीं बनता। हिन्दू मुस्लिम सिख और ईसाई मिलकर रामलीला का मंचन करते हैं और धार्मिक सद्भभाव की एक अनूठी मिसाल पेश करते हैं। परशुराम बनते हैं मोहम्मद अरशद आजाद। पिछलों 15 वर्षों से इस रामलीला में मोहम्मद अरशद आजाद भगवान परशुराम और विभीषण का किरदार निभाकर भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। वो अब तक रामलीला में रामायण के कई पात्रों का रोल कर चुके है। अरशद सबसे पहले नमाज पढ़कर अल्लाह को याद करते हैं और फिर भगवान शिव की चरण वंदना करते हैं। उनका का कहना है कि उन्होंने रामलीला में मंचन के जरिए मर्यादा पुरूषोत्तम राम को बेहद करीब से जाना है।
मोहम्मद अरशद ने कहा कि वो चाहे कलमा पढ़ें या अजान दें या फिर ऊं नम शिवाय का जाप करें। उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती है। और ना ही उनकी जुबान लड़खड़ाती है। ऐसा करने से उन्हें एक और धर्म के बारे में जानकारी मिलती है। मोहम्मद अरशद का कहना है कि हिन्दू और मुसलमान भारत मां के दो बेटे हैं जिन्हें हमेशा मिलजुल कर रहना चाहिए। हमें एक.दूसरे को करीब से जानना चाहिए ताकि दोनों धर्मों में कोई दूरी न हो पाए। साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए जानी जाने वाली इस राम लीला के मंचन को देखने के लिए पड़ोसी जिलों से लोग यहां आते हैं। खास बात ये है कि यहां कोई कलाकार मंचन के एवज में पैसा नहीं लेता है बल्कि स्वेच्छा से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है।
इतना ही नहीं यहाँ सिख और ईसाई भी रामलीला मंचन में जमकर हिस्सा लेते है। यहाँ मंचन में ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वाले पैट्रिक दास पिछले 27 सालों से राजा दशरथ और मेघनाद का पात्र निभाते चले आ रहे हैं। पैट्रिक दास रक्षा मंत्रालय की इस फैक्ट्री में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। वो भगवान राम आदर्शों से बेहद प्रभावित हैं। सरदार यस एल सिंह यहाँ रामलीला में ऋषि मुनि का रोल करते है।
हालांकि पिछले कुछ समय से देश और खासकर उत्तर प्रदेश में तमाम राजनैतिक पार्टियां साम्प्रदायिकता के नाम पर अपनी रोटियां सेक रही है। वही मुजफ्फरनगर और बिसाहड़ा में हुए साम्प्रदायिक दंगों ने दो
साम्प्रदायों के बीच दरार डालने की कोशिश की। लेकिन शाहजहांपुर के मोहम्मद अरशद जैसे कलाकार भी उन लोगों के लिए एक सबक हैं जो साम्प्रदायिकता के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेक कर हमें एक दूसरे से अलग करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।