अजमेर और पुष्कर के बीच चलने वाली देश की एकमात्र स्पेशल ट्रेन

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किशोर/अजमेर –  अजमेर और पुष्कर के बीच चलने वाली ट्रेन संभवत देश की अकेली एेसी ट्रेन है जिसमें फाटक बंद करने के लिए चौकीदार फाटक पर तैनात होने के बजाए इसी गाड़ी में चलता है। मजेदार बात यह है कि ट्रेन खुले फाटक से थोड़ी दूर आकर रुक जाती है। इसके बाद चौकीदार इंजन से उतरकर खुला रेलवे फाटक बंद करता है और हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को आगे बढऩे का सिग्नल देता है।

बात यहीं खत्म नही होती। ट्रेन फाटक पार करके आगे जाकर एक बार फिर रुक जाती है । चौकीदार इसके बाद रेलवे फाटक को वापिस खोलकर ट्रेन में जाकर सवार होता है और ट्रन चल देती है। अजमेर-पुष्कर के बीच आने वाले तीन रेलवे फाटकों पर यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। अजमेर से पुष्कर के लिए ट्रेन का संचालन 2013 में किया गया था। लेकिन इस मार्ग पर आने वाले तीन फाटको पर स्थाई चौकीदार नियुक्त नहीं किया गया। दिन में सिर्फ एक बार चलने वाली इस गाड़ी को देखते हुए रेल प्रशासन ने चौकीदार को ट्रेन के साथ रवाना करने का अनूठा प्रयोग शुरु किया जो अब तक जारी है।

इस गाड़ी का अजब गजब तमाशा और भी है। वह यह कि यह ट्रेन महज 30 किलोमीटर का सफर पूरा करने के लिए पूरे डेढ घंटे का समय लेती है। इस वजह से यह गाड़ी पहले दिन से ही घाटे का सौदा बनी हुई है। यात्री इस ट्रेन में पुष्कर के लिए पिकनिक अथवा मौजमस्ती के लिए तो सफर करते है लेकिन जहां तक अपने गंतव्य तक पहुंचने की जल्दी हो तो वे सड़क मार्ग को ही प्राथमिकता देते हैं। दरअसल अजमेर-पुष्कर की सड़क मार्ग से दूरी महज 13 किलोमीटर र्है। बस अथवा निजी वाहन से यह दूरी महज 20 से 30 मिनट में पूरी हो जाती है। यही वजह है कि अजमेर-पुष्कर के बीच चलने वाली इस गाड़ी के अधिकांश डिब्बे खाली नजर आते हैं। बहरहाल रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई जाएगी और फेरे भी बढ़ाए जाएंगे।

इसके बाद यह ट्रेन यात्रियों के बीच लोकप्रिय होगी और घाटे में चल रही इस गाड़ी को अपेक्षित यात्री भार भी मिल सकेगा। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि पुष्कर से मेड़ता के बीच 60 किलोमीटर का रेलवे ट्रेक बिछने के बाद इस रेलवे मार्ग की उपयोगिता बढ़ जाएगी और अधिक ट्रेनों के संचालन की बदौलत इस मार्ग पर यात्री भार मिलेगा।