कचरा प्रबंधन विषय पर हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन

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करनाल – तरल व ठोस कचरा प्रबंधन आज के समय में इतना आवशयक हो गया है की इसके बिना हम स्वच्छता की कल्पना नहीं कर सकते, अगर तरल व ठोस कचरे को अलग  न किया जाये तो ये वातावरण के लिए खतरा बन सकता है। अलग-अलग करके इनका उचित प्रबंधन ही इस समस्या से निजात दिला सकता है । इसी विषय को लेकर ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी में तीन दिवसीय प्रशिक्षण सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे तीन जिलों करनाल, कुरुक्षेत्र व सोनीपत के स्वच्छता मिशन से जुड़े करीब 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।  कार्यशाला के समापन अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकारी वाइस चेयरमैन सुभाष चंद्र ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यशाला में उपस्थित सोनीपत, कुरूक्षेत्र व करनाल के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के स्वच्छता अभियान को गति देने का प्रयास किया है वो प्रयास तब तक सफलता की और नही जा सकता जब तक सभी नागरिक समान रूप से अपनी भागीदारी सुनिश्चित नही कर लेते।

सुभाष चंद्र ने कहा की शहरों में तो नगर निगमों द्वारा तरल व ठोस कचरे को प्रोसेस करने की तकनीक व विशेषज्ञ मौजूद हैं लेकिन गाँवों में अभी इसकी छंटनी व डंपिंग के उचित साधन की कमी है जिसके लिए हरियाणा सरकार स्वच्छता मिशन के तहत गांवों में कचरा सयंत्र स्थापित करने पर जोर दे रही है जहाँ गाँवों से निकले कचरे को वहीँ पर प्रोसेस कर उसका खाद के रूप में प्रयोग किया जायेगा। इसके अलावा सरकार स्वच्छता में बेहतर मानदंड स्थापित करने वाले गाँवों को नकद पुरुस्कार भी दिए जा रहे हैं । ग्रामीण विकास व् स्वच्छता की योजना बनाने वाले गाँवों को हर तरह की तकनिकी व् प्रशासनिक सहायता देने को हरियाणा सरकार पूरी तरह तत्त्पर है। सुभाष चंद्र ने प्रतिभागियों से इस विषय को हर व्यक्ति तक ले जाने व् इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करने की बात कही। उन्होंने कहा की हरियाणा में जिस प्रकार ओ डी एफ का सफल अभियान चलाया गया उसी प्रकार तरल व् ठोस कचरा प्रबंधन को भी मिशन मोड में चलाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार की ओर से जिस प्रकार की मदद की आवश्यकता होगी अवश्य की जाएगी।

संस्थान के निदेशक अत्तर सिंह श्योराण ने कहा की हमें घरों में ही ठोस व तरल कचरे की छंटनी कर उसे अलग अलग रूप में कूड़ाघर तक पहुँचाना होगा जहाँ तरल कचरे से उत्तम खाद बनाई जा सकती है और ठोस कचरे जिसमे इलेक्ट्रॉनिक व प्लास्टिक वेस्ट शामिल है को रीसाइकिल कर पुन: प्रयोग में लाने लायक बनाया जा सकता है । प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों , अधिकारीयों व स्वच्छ भारत मिशन के ब्लाक कोऑर्डिनेटर को तरल व् ठोस कचरा प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्हें ये भी बताया गया की वे फील्ड में जाकर किस प्रकार लोगों को इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं। इस मौके पर सुभाष चंद्र ने आये हुए सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये और  उनके अभियान की सफलता की शुभकामनाएं दी ।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक अत्तर सिंह श्योराण ने स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकारी वाईस चेयरमैन सुभाष चंद्र का कार्यकर्म में पहुंचने और प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाने के लिए धन्यवाद किया। कार्यशाला में संस्थान के  उप प्राध्यापक संदीप भारद्वाज, तेजिन्द्र बिडलान, राजीव शर्मा , पूर्ण सिंह सैनी, अमन अठवाल, सुरेन्द्र कुमार ,ममता शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।